________________
( ४११ )
अर्थ:-सूखा अन्न, तथा जुदा बना हुआ हल्का भोजन जो यतियों को देता है, वह मूढ से पाप से नरक में पड़ता है ।
इस विषय में ऋतु कहते हैं:
यतिर्योगी ब्रह्मचारी, शतायुः सत्यवाक् सत्ती । सत्री वदान्यः शूरथ, स्मृताः शुद्धार्थ ते सदा ॥1
अर्थः- संन्यासी, योगी, ब्रह्मचारी, सौ वर्ष के आयु वाले, सत्य बोलने वाले, सती धर्म पालने वाली, अन्नदान देने वाले, दाता, शूर, इनको सदा काल शुद्ध माना गया है।
स्मृतिकार कहते हैं:
यति हस्ते जलं दद्याद्, भैक्षं दद्यात्पुनर्जलम् । तद् भैक्षं मेरुणा तुल्यं, तज्जलं सागरोपम् ॥ अर्थ:-यति के हस्त में जल दे, फिर मैच दे, तो भैस रू तुल्य और पानी समुद्र तुल्य हैं ।
आपत्कालीन संन्यास
सुमन्तु कहते हैं:---
आपत्काले तु संन्यासः कर्त्तव्य इति शिष्यते । जरयाऽभिपरीतेन, शत्रुभिर्व्यथितेन च ॥ श्रातुराणां च संन्यासे, विधिनैव न च क्रिया । प्रेषमात्रं समुच्चार्य, संन्यासं तत्र कारयेत् ।
"