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-- ( ३८४ ) प्राचीन लेखकों ने इन्हें निरीश्वरवादी कहा है। बादमें इनमें से योग सम्प्रदाय निरीश्वरवादी और ईश्वरवादी इन दो भागों में बंट गया। ___ सांख्यदर्शन के अनुयायी आज मौलिक रूप से कितने दूर गये हैं यह कहना तो कठिन है, परन्तु इतना निश्चित है कि संन्यासियों का यह सम्प्रदाय सब से प्राचीन है, और वेदकाल में भी इसका अस्तित्व था, इस बात में कोई शङ्का नहीं है।
संन्यासियों के दश नाम सम्प्रदाय को जानने वाले नीचे लिखे संन्यासियों के दश नाम बताते हैं।
तीर्थाश्रमवनारण्य, गिरिपर्वत-सागराः ।
सरस्वती भारती च, पुरी नामानि वैदश ।। अर्थः-तीर्थ, आश्रम चन, अरण्य, गिरि पर्वत, सागर, सरस्वती, भारती और पुरी ये शब्द संन्यासियों के नाम के अन्त में रक्खे जाते हैं। जैसे:-श्री पुरुषोत्तम तीर्थ, श्री राजराजेश्वराश्रम इत्यादि ।
संन्यासी के वस्त्र वैदिक सन्न्यासी के वस्त्र पात्र के सम्बन्ध में भी कुछ लिख देना आवश्यक प्रतीत होता है। उपनिपत् काल में परिव्राजक