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( ३४८ ) अर्थ योग तप, इन्नुिस : दमन, दान, सस्य, अनिता, जान ल्या विद्या, विज्ञान और श्रद्धासुता त्ये सब नाम के
. वसिष्ठ स्मृति में ब्राह्मणों की तारकता '' सर्वत्र दान्ताः श्रुतिपूर्णकी, जितेन्द्रियः प्राविनाविना प्रतिम संकुचिता वृहस्थासते मालपास्तासयितुं समा।
अर्थः-सर्वत्र चित्तवृत्तियों का दमन करने वाले, वेद श्रवण करने वाले, जितेन्द्रिय, जीवहिंसा से दूर रहने वाले, दान लेने में संकोच रखने वाले, ऐसे गृहस्थाश्रमी ब्राह्मण संसार-समुद्र से तारने को समर्थ होते हैं।
वशिष्ठस्मृति में पात्र लक्षण। स्वाध्यायाढ्य योनिमित्रं प्रशान्तं चैतन्यस्थं पापंभीरु वहुज्ञम् । स्त्रीमुक्तान्तं धार्मिकंगोशरण्यं वृत्त क्षान्वं वादशं पात्रमाहुः।२६
"वमिष्ठ स्मृति" । अर्थः-जो स्वाध्याय में लीन, ब्रह्मचारी, शान्तिमान्, हरेक कार्य में चेतावान, माप से करने वाला, चिनेक शास्त्रों का झाता स्त्रियों की निकटता से मुक्त, धार्मिक सायों मादिप्राणियों काप्रतिपालक, व्रत नियमों के प्रतिपालन से शरीर में दुर्बल, इस प्रकार के मामा को कहा है।