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( १६४ ) १६-ज्येष्ठा को मधुष्टिं चबा कर भोजन करके कार्य सिद्ध करते हैं १७-(मूल) इसका भोजन सूत्र में नहीं मिलता) १८-पूर्वाषाढा के दिन दो आंवले खाकर कार्य सिद्ध करते हैं। १६-उत्तराषाढा को वला के बीजों को चबा कर भोजन करके
कार्य सिद्ध करते हैं। २०. अभिजित् को गुलकन्द के साथ खाना खाकर कार्य सिद्ध - करते हैं। . २१-श्रवण को दूध के साथ खाना खाकर कार्य सिद्ध करते हैं। २२-(धनिष्ठा का भोजन सूत्र में नहीं मिलता है) २३-शतभिषा के दिन तुअर को खाकर कार्य सिद्ध करते हैं। २४ - पूर्वा भाद्रपदा के दिन करेलों के साथ भोजन करके कार्य
सिद्ध करते हैं। २५.-उत्तरा भाद्रपदा को सकर कन्द का पक्कान खाकर कार्य
सिद्ध करते हैं। २६-रेवती के दिन जलकर नामक वृक्ष के सार से मिश्रित
पक्कान्न खाकर कार्यसिद्ध करते हैं। . २७–अश्विनी के दिन अश्वगन्धा चूर्ण. डालकर बनाया हुआ
मिष्ठान्न खाकर कार्य सिद्ध करते हैं। २८-भरणी को तिल के दाने डालकर बनाया हुआ खाना खाकर कार्य सिद्ध करते हैं।
मार्जारकृत कुक्कुट मांस क्या था ? भगवान् महावीर ने अपनी बीमारी की अन्तिम हालत में अपने शिष्य सिंहमुनि को मेंढिय माम निवासिनी रेवती नामक