________________
( १४६ )
उत्पन्न प्ररोह पर लगे हुए गहरे नील मयूर पंख जैसे - वारह पत्तों से छत्रातिछत्र वाली, राक्षसों का नाश करने वाली, कन्द मूल से उत्पन्न होने वाली, जरामरण का निवारण करने वाली दोनों कापोतिकायें जाननी चाहिए ।
अजा शब्द सामान्य रूप से बकरी इस वाच्यार्थ को ही व्यक्त करता है, फिर भी अजा नामक एक औषधि भी होती है । जिसका वर्णन नीचे अनुसार है
श्रजा महौषधिर्ज्ञेया शङ्ख-कुन्देन्दुपाण्डुरा ॥५६८ ॥ ( कल्पद्रुमकोशः ) अर्थ - जो शंख कुन्द पुष्प और चन्द्र के समान श्वेतवर्ण की हो, जा नामक महौषधि जाननी चाहिए ।
वर्ण के ऊपर से पदार्थों के नाम
वनस्पति फलों के ही नहीं अन्य अनेक पदार्थों के नाम वर्णों के ऊपर से प्रसिद्ध हो जाते हैं । जैसे1
-
रुधिरं कुंकुमेऽपि च ।
अर्थात् - केशर का भी नाम रुधिर पडना । ताम्र शुल्वे शुल्वनिभे च ।
अर्थ - ताम्र नाम ताम्बे के अतिरिक्त ताम्रवर्णं के प्रत्येक पदार्थ का होना ।