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________________ ષષ્ઠી સપ્તમી સંબોધન प्रध्यः प्रधिय प्रधीः પ્રથમા દ્વિતીયા તૃતીયા ચતુર્થી પંચમી ષષ્ઠી સપ્તમી સંબોધન ७. सुधीजने भूअरांत नामो तथा ई } ऊ नो भ्यां इय् } ऊव् थाय छे ते क्यारे સ્ત્રીલિંગ હોય ત્યારે તેના રૂપો શ્રી ની જેમ જાણવા अपवाह - वर्षाभू अने पुनर्भू । सुधी એકવચન सुधीः सुधियम् सुधिया सुधिये सुधियः सुधियः सुधियि सुधीः એકવચન प्रथमा भने द्वितीया सुधि તૃતીયા ચતુર્થી પંચમી ષષ્ઠી સપ્તમી સંબોધન प्रध्योः प्रध्योः प्रध्यौ सुधिया / सुधिना सुधिये/सुधिने पुं. श्रेष्ठ बुद्धिवाणा દ્વિવચન सुधियौ सुधियौ सुधीभ्याम् सुधीभ्याम् सुधीभ्याम् सुधियोः सुधियोः सुधियौ નપુંસકલિંગ દ્વિવચન सुधिनी सुधिभ्याम् सुधिभ्याम् प्रध्याम् प्रधीषु प्रध्यः सुधियः/सुधिनः सुधिभ्याम् सुधियः / सुधिनः सुधियि / सुधिनि सुधे / सुधि બહુવચન सुधियः सुधियः सुधीभि: सुधीभ्यः सुधीभ्यः सुधियाम् सुधीषु सुधियः બહુવચન सुधीनि सुधिभि: सुधिभ्यः सुधिभ्यः सुधियाम् / सुधीनाम् सुधीषु सुधीनि सुधियोः/सुधिनो: सुधियोः / सुधिनो: सुधिनी ८. गो जने द्योभां प्रथम पांय इपोमां संत्य ओ नो औ थाय छे सु. सं. भन्दिरान्तः प्रवेशित १४८ પાઠ - ૧૬
SR No.022987
Book TitleSubodh Sanskrit Mandirant Praveshika Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamkrishna Gopal Bhandarkar
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year2012
Total Pages348
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size27 MB
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