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એકવચન
पति:
पतिम्
પ્રથમા
દ્વિતીયા
તૃતીયા
ચતુર્થી
પંચમી
ષષ્ઠી
સપ્તમી
સંબોધન
3. सखि ना प्रथम छ ३५ो :
એકવચન
सखा
सखायम्
→ जाडीना ३यो पति प्रभा
પ્રથમા
દ્વિતીયા
पत्या
पत्ये
पत्युः
पत्युः
पत्यौ
प
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દ્વિવચન
पती
पती
पतिभ्याम्
पतिभ्याम्
पतिभ्याम्
पत्योः
पत्योः
पती
દ્વિવચન
सखायौ
सखायौ
પ્રથમા
દ્વિતીયા
તૃતીયા
* સુ. સં. મન્દિરાન્તઃ પ્રવેશિકા કે
४. (A) धातुभांथी वगर प्रत्यये थयेला श्री, धी, भू वगेरे तेभ४ स्त्री अने भ्रू भां स्वरथी श३ थता प्रत्यय पूर्वे अन्त्य दीर्घ ह्रस्व इ े उनो अनुभे इय् े उव् थाय छे.
Fat-zöll. zal
એકવચન
દ્વિવચન
स्त्री
स्त्रियौ
स्त्रियम् / स्त्रीम् स्त्रियौ
स्त्रिया
બહુવચન
पतयः
पतीन्
पतिभिः
पतिभ्यः
पतिभ्यः
पतीनाम्
पतिषु
पतयः
(B) स्त्री ने नदी ना प्रत्यय लागे छे श्री, धी, भ्रूसने खावा जीभ स्त्रीविंगनाभो यतुर्थी, पंयभी, षष्ठी, सप्तभी जे.व. अनेष. ज. व भां नदी ना प्रत्यय विऽस्ये से छे.
બહુવચન
सखायः
सखीन्
स्त्रीभ्याम्
૧૪૫
બહુવચન
स्त्रियः
स्त्रियः / स्त्री:
स्त्रीभिः
पाठ- १६