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४२राती अर्थ । મૂળધાતુ ગણ પદકાળ પુરુષવચન जह्याव અમારે બે
૩૫.૫ વિધ્યર્થ |12| धद्ध्वे તમે ધારણ કરો છો धा 36.५. वर्तमान |13|अबिभयुः તેઓ ડર્યા હતા
भी |3|.५... भू. . 3 | 14 संधियामः
| सभे संघि शो छीमे | सम्+धि " | वर्तमान |15| विरमति
તે અટકે છે
वि+रम् [3] सापनि :1. भी + मः
2. हा + अम् = भीभी+मः [द्विस्ति नि. 1 थी] = हाहा+अम् [दिति नि. 1 थी] = बीभी+मः [द्विस्ति . नि. 2 - A थी]] = जाहा+अम् [नियम 2 - B थी] = बिभी+मः [द्विति . नि. 2 - C थी| = जहा+अम् [द्विरतिनि. 2 - C थी] = बिभीमः
= अजहा+अम् [६..(भूतोवाथी]
= अजहाम् 3. धा + स्व
4. भृ + स्व = धाधा+स्व [द्विति नि. 1 थी] = भृभृ+स्व [द्वि२ति नि. 1 थी] = दाधा+स्व [द्विति नि. 2 - A थी] | = बृभृ+स्व [द्विस्ति नि. 2 - A थी] = दधा+स्व [द्विति नि. 2 - C थी] | = बिभृ+स्व [द्विस्ति नि. 2 - E थी] = धत्स्व [दिति नि. 8 - D थी] | = बिभृ+ष्व [
व्यंन संधि नि. 18 थी] = धत्स्व
= बिभृष्व 5. धा + ध्वे
[4] शोमा पोवायेदा ३५ो := धाधा+ध्वे [द्विरस्ति नि. 1 थी] | 1. अबिभ्राथाम् 6. अबिभयुः = दाधा+ध्वे [द्विस्ति नि. 2 - A थी] | 2. अदध्व 7. समाधद्ध्वम् = दधा+ध्वे [दिति नि. 2 - C थी] | 3. ददीयाताम् 8. बिभरै = धत्+ध्वे [द्विस्ति नि. 8 - D ] |4. धत्थः 9. देहि = धद्+ध्वे [व्यंन संघि नि. 2 थी] |5. बिभ्रीरन् = धद्ध्वे [5] ३५ :1. बिभराणि बिभराव बिभराम | 2. अददि अदद्वहि अदद्महि
बिभृहि बिभृतम् बिभृत अदत्थाः अददाथाम् अदद्ध्वम् बिभर्तु बिभृताम् बिभ्रतु । - अदत्त अददाताम् अददत * स२८ संस्कृतम् - ५ • १४१ . 8416-२/१४ ॐ