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________________ به به छिद् । به (१.५. बस्तन هی به می न.] मर्थ । ३५ | पातु | | ५६ | १ पुरुष वयन 8. | डंसंबंधमा माjj | संपृणच्मि | | सम्+पृच् |५.५. वर्तमान तो नाभ्युं तुं न्ययुनक् नि+युज् | હ્યસ્તન | 10.] तमे अपांगे याथु तुं | अभिन्द्ध्व म् | भिद् 13.५. स्तन 11. ___तुंछे छ छिन्त्से 6.५. वर्तमान મેં ખાંડ્યું હતું अक्षुन्दि તે અટકાવે છે रुणद्धि વર્તમાન મારે ખરીદવું જોઈએ क्रीणीय विध्यर्थ | તે બે ખાઓ | अश्नीताम् આજ્ઞાર્થી ૩ 16.] तमे देणे योर्यु तुं | अमुष्णीतम् હ્યસ્તન) ૨ 17./ तमो छ । मीनते વર્તમાન ૩ 18. | 24मारे खेमे पू२ मे | पृणीयाव || વિધ્યર્થ [3] हन्त :| न. | पातु | त्वर्थ | Hius afमान भान | slea |तरिभूत तव्य | अनीय | य | तर | भलिभूत | भोक्तुम् | भुक्त्वा भुञ्जत् | भुज्यमान | | भुक्त भुक्तवत् | भोक्तव्य | भोजनीय | भोज्य | इन्धितुम् | इन्धित्वा | इन्धान इध्यमान इद्धवत् | इन्धितव्य | इन्धनीय | इन्ध्य ज्ञा | ज्ञातुम् | ज्ञात्वा | जानत् | ज्ञायमान ज्ञातवत् | ज्ञातव्य । ज्ञानीय | ज्ञेय | बद्धम् | बद्ध्वा | बध्नत् | बध्यमान बद्ध | बद्धवत् | बन्द्धव्य | बन्धनीय |बन्द्ध्य हिंसितुम् | हिंसित्वा हिंस्यमान | हिंसित | हिंसितवत् | | हिसितव्य हिंसनीय मोषितुम् | मुषित्वा मुष्यमाण | मुषित मुषितवत् | | मोषितव्य मोषणीय क्रेतुम् | क्रीत्वा क्रीयमाण | क्रीत क्रीतवत् | क्रेतव्य | क्रयणीय | क्रेय तर्हितुम् | तहित्वा | र्तृहत् | तृह्यमाण | तृहित | तृहितवत् | तर्हितव्य | तर्हणीय | | वनितुम् | वत्वा वन्वान | वन्यमान | वत | वतवत् | वनितव्य | वननीय | ३५ : 1. भिन्द्वहे 2. अयुङ्क्त 3. अपिष्टाम् 4. हिंस्थः 5. समपृञ्चन् [5] ३५ :1. ऐन्धि ऐन्ध्वहि ऐन्ध्महि | 2. अतृणहम् अतूंव अह्म ऐन्द्धाः ऐन्धाथाम् ऐन्द्ध्वम् | अतृणेट्-ड् अतृण्ढम् अतृण्ढ ऐन्द्ध ऐन्धाताम् ऐन्धत । अतृणेट्-ड् अतृण्ढाम् अतृहन् ज्ञात स२० संस्कृतम् - ५ . १२८ . पा-२/८ 3
SR No.022985
Book TitleSaral Sanskritam Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size24 MB
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