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[1] फूटती विगतो :
અર્થ |મૂળધાતુ, ગણ પદ પુરુષ વચન વર્તમાનકાળ હ્યસ્તન ભૂતકાળ ખાવું अश् | પરસ્વૈપદ| ૧ | ૧ अनामि आश्नाम् ગૂંથવું
પરસ્મપદ ર ग्रथनीथः अग्रथ्नीतम् ખરીદવું ઉભયપદ
क्रीणन्ति अक्रीणन् જાણવું ઉભયપદ
जानीवः अजानीव બાળવું પરમૈપદ
प्लुष्णीथ अप्लुष्णीत પવિત્ર કરવું ઉભયપદ
पुनाति अपुनात् પાળવું પરમૈપદ
पुष्णीमः अपुष्णीम 8. | नाश २वो
ઉભયપદ |
मीनासि अमीनाः કાપવું ઉભયપદ
लुनाते अलुनाताम् બાંધવું
बन्ध પરપદ| ૨ बध्नासि अबध्नाः | ઓળંગવું ૧ આત્મપદ
लङ्घते अलङ्घत પસંદ કરવું ૯ | ઉભયપદ
वृणीमहे अवृणीमहि ચોરવું मुष् પરમૈપદ
मुष्णीतः अमुष्णीताम् અટકાવવું स्तम्भ પરસ્મપદ
स्तभ्नीथ अस्तभ्नीत ઓગળવું ली પરમૈપદ
लिनामि
अलिनाम् 16.| अहए। ४२j | ग्रह . ઉભયપદ
अगृह्णीम 17.| पाथ२j
ઉભયપદ
स्तृणाथे अस्तृणाथाम् 18./ मांग | वन् । ८ मात्मनेप| 3 | १. वनुते अवनुत [2] ३५ :નં. મૂળધાતુ અર્થ ગણ, પદ | કાળ પુરુષ એકવચનદ્વિવચન બહુવચન 1.| पुष्
पोषj |८ ५२स्मै५६ वर्तमान १ | पुष्णामि | पुष्णीवः | पुष्णीमः 2.| बन्ध् wiuj |८ परस्मैप यस्तन| २ | अबध्नाः | अबध्नीतम् अबध्नीत 3. प्लुष् पाणj |८५२स्मै५६ वर्तमान| 3 |प्लुष्णाति | प्लुष्णीतः प्लुष्णन्ति 4. मुष् ચોરવું | ८ |५२स्मैप यस्तन| २ अमुष्णाः | अमुष्णीतम् अमुष्णीत 5.] ज्ञा | aaj |८ मय५६ वर्तमान १ | जानामि | | जानीवः | जानीमः
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રે સરલ સંસ્કૃતમ્ - ૫
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पाठ-२/६