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મૂળધાતુ |અર્થ ગણ પદપુરુષ એકવચન દ્વિવચન બહુવચન
कृष्
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अर्ज परा+अय् सेव्
रम् [3] ३५४ual :- [३५] स्तन भविष्याना ४ सवान।]
1. हिंस् - वि.पु. ५.१. = ___ | 6. पुष् - द्वि.पु. . १.= 2. अञ् - तृ.पु.वि.. = _| | 7. बन्ध् - प्र. पु.द्वि.व. = 3. इन्ध् - प्र. पु. मे. 4. = __ | 8. ऋ - तृ. पु. १. प. = __ 4. ब्रू - द्वि.पु. दि.१. = ___|9. भ्रम् - प्र. पु.५.५.
5. प्सा - तृ. पु. अ. 4. = __ [4] उभस२ सावत। वय्येन। ३५ो पूरो :1. यतितासे,
_, __, __ 2. ध्यातास्मि,
_, ध्यातास्थ 3. स्थातास्वः,
_, स्थातास्थ 4. रोचितास्वहे,
रोचिताध्वे
____, ईक्षिताध्वे 6. रोढासि, 7. मोदितास्महे, 8. कम्पिताहे,
,कम्पिताध्वे 9. ह्वातासि, _
_____
____, ह्वातारः [5] ३५ पूरो :1. __ _
2. - वनितासे
यतितारौ
5. इक्षिताहे, __
_
'ढारी
-' -- __, मोदिता
-
-
-
- |3. साद्धास्मि
शक्तास्मः | 5. _ वरितास्वहे
।।
स२१ संस्कृतम् - ४
. १५3 .
पाठ-२/१६