________________
4. यथा काष्ठं वह्निना इध्यते तथा दुष्टशब्दैः नरः इध्यते । 5. स्वकर्माणि युवाम् अभिन्तम् । 6. ते श्रमणाः न कमपि जीवम् अहिंसन् । 7. स्वगात्राणि छिन्दन्तं नरमपि न ते श्रमणाः समकुप्यन् । 8. तेषामियं क्रिया तेषां दयां व्यनक्ति । 9. आपत्सु समतया दुःखानि सहस्व, यतः समता कर्माणि दुःखानि च
तृणेढि । [3] पूटती विगतो :|न.] पातु | अर्थ | nee/ ५६ पुरुष क्यन | द्विवयन | बर्डवयन 1. सम्+पृच् सं५६म भाव/वर्तमान ७५२स्मैपदी| १ | संपृणच्मि | संपृञ्च्वः | संपृञ्च्मः 2.] भिद् | मेjiस्तन| ७ | Gमयपही | २ |अभिन्त्थाः |अभिन्दाथाम् अभिन्द्ध्वम् 3.| भञ् | Hinj वर्तमान ७ | ५२स्मैपदी| 3 | भनक्ति | भङ्क्तः | भञ्जन्ति | 4. तृह् ।। नष्ट ४२j | स्तन| ७ | ५२स्मैपदी| २ |अतृणेट-ड्| अतृण्ढम् | अतृण्ढ | 5.] इन्ध् सणqj वर्तमान ७ आत्मन 3 | इन्द्धे । इन्धाते | इन्धते [4] पूटती विगतो :
| અર્થ મૂળધાતુ, કાળ ગણ પદ વચન પ્ર. પુરુષ | દ્રિ. પુરુષ | પૃ. પુરુષ 1.| नीमj |नि+युज् | वर्तमान | | ઉભયપદી | १ | नियुनज्मि नियुनक्षि | नियुनक्ति 2. Aucी ४२j| रिच् | यस्तन | | उभयपदी | २ | अरिञ्च्व अरिङ्क्तम् अरिङ्क्ताम् 3. मे ४२वो | भिद् वर्तमान | | उभयपट्टी भिन्द्यः | भिन्थ | भिन्दन्ति 4.| rj | पिष् | यस्तन ૭ |પરમૈપદી अपिंष्व | अपिष्टम् । अपिंष्टाम् | 5. | ४मj | भुज् वर्तमान | | ઉભયપદી | भुञ्चः | भुक्थः भुङ्क्तः [5] पूटती विगतो :न.] पातु | पर्थ | संis qभान वर्तमान | तर | मसि अनीय
तरि । કર્મણિ ભૂત
ભૂત
छिद् | छेत्तुम् | छित्त्वा | छिन्दत् | छिद्यमान | छिन्नवत् | छिन्न | छेत्तव्य | छेदनीय | छेद्य अङ्ग् | अतुम् | अङ्क्त्वा अञ्जत् | अज्यमान |अङ्क्तवत् | अङ्क्त | अङ्क्तव्य | अञ्जनीय | अञ्ज्य रोद्भुम् । रुद्ध्वा | रुन्धत् | रुध्यमान | रुद्धवत्
रोद्धव्य | रोधनीय
रोध्य पेष्टुम् पिष्ट्वा | पिंषत् | पिष्यमाण | पिष्टवत् पिष्ट
पेष्टव्य |
पेषणीय पेष्य रेक्तुम् रिक्त्वा | रिञ्चान | रिच्यमान | रिक्तवत् रिक्त
रेचनीय
| रेक्तव्य
रेच्य
| रिच् ** स२१ संस्कृतम् - 3
.८५.
8426-२/8