________________
तौ
م
مه
-लं 566
MPONm
به
उस्
जज्वलुः
له
सः
هی هی
به
वयम्
7. तेषाम् उपदेशं श्रुत्वा अकबरः अतीव प्रससाद । 8. तथा राजा मांसाहारं जहौ, जीवहिंसां च रुरोध । 9. श्रीहीरसूरीणाम् अन्तिमसंस्कारः उन्नतपुरे बभूव, यत्र अद्यापि तेषां
स्वर्गवासतिथौ चातुर्मास आम्रः रोहति । [3] फूटती विगतो :| | મૂળધાતુ પુરુષ વચન સર્વનામનું રૂપ | પ્રત્યય ३५ । अर्थ 1.| सू | १ | १ | अहम्
सुषुवे | में ४न्म आयो व्रज | 3 | २
अतुस्
वव्रजतुः તે બે ગયાં बुध आवाम्
बुबुधिव | सभेमे एयु काङ्क्ष
युवाम् अथुस् चकाङ्क्षथुः | तो ५७y ज्वल
તેઓ બળ્યાં यूयम् अ
मम्र તમે મર્યા | 3 | १
विवेपे તે ધૂયો હતો चेष्ट त्वम्
चिचेष्टिषे | तें येष्टा ४२ ती अट्
आटिम અમે ભટક્યા હતા [4] पूटती विगतो :નં. રૂપ | અર્થ મૂળધાતુપુરુષ વચન પ્રત્યય તેની લાઈનના બીજા બે રૂપ | 1 शिश्रियाते तो भारी दीपा, श्रि | 3 | २ | आते | शिश्रिये | शिश्रियिरे 2 | जुगुह्व | सभे से छूपाव्यु | गुह् | १ | २ | व जुगूह जुगुह्म 3|जग्रन्थथुः | तो गूंथ्थु | ग्रन्थ् | २
| जग्रन्थिथ | जग्रन्थ | सप्रेसिषे | तुं जो हतो | संस्
| सप्रेसाथे सस्रंसिध्वे 5 | जहसिम | अभे डस्या त | हस्
जहास जहसिव 6 | तत्वरिढ्वे | तभे ७५ ४२री ता] त्वर्
तत्वरिषे तत्वराथे 7 | बभाण | पोल्यो हतो | भण्
बभणिव बभणिम 8| विवेपाते | तेले या हता | वेप
विवेपे विवेपिरे 9 चिक्लिशुः | तभी से पाम्या | क्लिश् | 3 | उस् चिक्लेश | चिक्लिशतुः [5] ३५ो :1. वच् - 2/P बोलवू उवाच/उवच
ऊचिव ऊचिम उवचिथ/उवक्थ ऊचथुः उवाच
ऊचतुः * स२८ संस्कृतम् - 3 . १२3 .
8406-२/२
.
ه
ه
مه به
•
به
• •
مه به له
ऊच