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दोषा
६५ तृ• मे.. ४०६.
સ, બ.વ उदर्चिषा
उदर्चिभ्याम् उदर्चिषु-षु दीर्घायुषा
दीर्घायुाम् दीर्घायुषु:अतिधनुषा
अतिधनुर्ध्याम् अतिधनुष्षु-:षु
दोाम् दोषु-:षु નપુંસકલિંગનાં રૂપ
वि. स.व. वि . स.व. उदर्चिस् प्र. वि. सं. उदर्चिः उदचिषी उदचिंषि दोस्
दोः दोषी दौषि . १.८ आशिष , सजुष , चिकीर्ष , पिपठिष तेभन गिर, धुर् अने पुर
શબ્દોના ઉપન્ય ૬ અગર ને બદલે વ્યંજન પ્રત્યય પહેલાં ई अगर ऊ भुय छे.
५० मे.व. ५० वि. आशिष आशीः
आशिषौ सजुष् (स्त्रीलिं५)
सजुषौ चिकीर्ष चिकीः
चिकीर्षों गीः
गिरी धुरो
पुरौ ४. मे.व. तृ. दिव.
स. ५.. आशिषा
आशीाम् आशीष्षु-: सजुषा
सजूाम् सजूधु-षु चिकीर्षा
चिकीाम् चिकीर्षु गिरा
गीाम् धुरा धूभ्याम्
धूर्षु पूर्ध्याम्
सजूः
गिर
गीर्षु