SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 394
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नीला स्थल 363 गोण गोणा पासी थमी नील नौलो गोणी लरेसी था कुश कुशा सार्नु पाटील कुशी बनी भ्रातृ भगिनी स्थला कृत्रिम गा स्थली ३६२ती ॥ श्वन् शुनी आचार्य आचार्या धपिटेशनु आम ४२नारी श्री आचार्याणी यायायनी पत्नी मनु मनावी-मनायी-मनुः वरुण वरुणानी अग्नि अग्नायी उपाध्याय उपाध्याया-उपाध्यायी क्षत्रिय क्षत्रियी क्षत्रियनी स्त्री क्षत्रियाणी-क्षत्रिया क्षत्रियजतनी श्री मूषक मूषिका आर्यक आर्यका-आर्यिका नर्तक नर्तकी कामुक कामुका अर्य अर्या-अर्याणी-अयीं हयी अश्वपालक अश्वपालिका मातुल मातुला-मातुलानी-ली मनुष्य मनुषी यवन यवनी यवननी स्त्री, यवन नी स्त्री. यवनानी यवनानी लिपि मघवन् मघोनी
SR No.022964
Book TitleSanskrit Bhashanu Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJethalal Govardhan Shah
PublisherGujarat Oriental Book Depot
Publication Year1940
Total Pages492
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy