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(८२) नक्पद विकि पियरे संग्रह ।। २४. नव क्रोड पदप्रमाण छंदःशास्त्र, शब्दशास्त्र, व्या.' करण, सर्वशिल्प, सर्वजातनी कला, सर्व गुण
ज तात्त्विक उपाधिरूप छे तेनुं स्वरूप बतावनार
तेरमुं क्रियाविशाल पूर्व भणवा भणाववामां तत्पर. २५ बार कोडने पचास लाख पदप्रमाण, अथवा कर्म
ग्रंथ अभिप्राये साडाबार लाख पदप्रमाण, [तत्व केवलिगम्य] छ आरा विगेरे काळजें स्वरूप व्यवहार विधि, सर्व वस्तुना परिकर्म अने निःशेष श्रुतसंपदाथी भरपूर चौदसुं 'लोकबिन्दुसार' पूर्व
भणवा भणाक्वामां तत्पर. . आ अमीयार अंग तथा चौद पूर्व भणवा भणाववामां तत्परता रूप २५ गुणोथी विभूषित श्री उपाध्याय भगवंतने म्हारो नमस्कार थाओ.
श्री उपाध्याय पदाराधननो काउस्सग्ग पूर्वनी माफक जाणवो, मात्र “पणवीसइगुणविभूसियसिरि उवज्झायपयाराहणत्थं काउस्सग्गं करेमि"(पञ्चविंशतिगुणविभूषित श्री उपाध्यायपदाराधनार्थ) आप्रमाणे बोल.