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पच्चक्खाण पारवानो विधि ॥
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तो गुरुशुश्रूषा करवी, श्री अरिहंत प्रभुनुं ध्यानादि स्वरूप विगेरे धर्मकथा करवी,
प्रहर रात्रि लगभग थये संथारा पोरिसी सांभळवी संथाराविधि उपर लक्ष्य राखी ते प्रमाणे वर्त्ततुं, पोताना आराधन करेला दिवसनी सफलता मानतो, श्री पंचपरमेष्ठि मंत्रनो जाप करतो संथारो पाथरवानी जग्या चरवलाथी प्रमार्जी संथारीयुं, उत्तरपट्टो पाथरी श्री अरिहंत प्रभुनुं शुक्लवर्णे ध्यान करतो तेमना गुणोने हृदयमां भावतो अल्प निद्रा करे,
॥ इति प्रथम दिवस कर्तव्य विधि ॥