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________________ ( ५४ ) नवपद विधि विगेरे संग्रह ॥ प्रमाणे करवाथी उपयोगनी तीव्रता साथे विशेष लाभनुं कारण विरतिपणुं आत्माने रहे छे. ॥ शेषकानुं कर्त्तव्य. ॥ आ दिवसोमां जेम बने तेम प्रमाद सेववो नहि, विकथा करवी नहि. कषायने अवकाश आपवो नहि अने श्री सिद्धचक्र भगवान्नुं अपूर्व माहात्म्य हृदयमां स्फुरायमान थाय, तेमना ध्यानमां आत्मानी विशेष लीनता थाय ते माटे तेमनुं आराधन करनार श्रीपाल महाराजना चरित्रगर्भित श्री श्रीपाल महाराजनो रास वांचवो अगर सांभळवो, तेनी अर्थविचारणा करवी. सांजनुं पडिलेहण कर, देववन्दन कर. देववन्दन कर्या बाद पाणी पीवातुं नथी, सन्ध्या कालनी आरती, धूप, दीप विगेरे पूजा करवी, श्री सिद्धचक्र यंत्रनी पण संध्याकाले धूपादि यथोचित पूजा करवी, सांझे दैवसिक प्रतिक्रमण कर, प्रतिक्रमण कया बाद गुरुमहाराजश्रीनी जोगवाई होय
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
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