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________________ गुणोनी हृदयमां भावना रहेवा माटे तेनी अर्थविचारणा ॥ (३७) ४ भगवंतनी बेबाजु वीजाता उत्तम चामररूपप्रातिहार्य, ५ भगवंतने बेसवा माटे उत्तम कान्तिवाळा रत्नजडित सिंहासनरूप प्रातिहार्य. ६ भगवंतनीपीठेरहेलदेदीप्यमानभामंडलरूपप्रातिहार्य. ७ भगवंतना विहारादि अवसरे आकाशमां अदृश्य दुंदुभिरूप. प्रातिहार्य. ८ अर्जुन सुवर्णनी सळीओवाळा मोतीओना गुच्छा समेत अनेक सफेद पुष्पमालाओथी वीटायेल श्वेत दिव्य वस्त्रमय छत्रत्रयरूप प्रातिहार्य ए आठ प्रातिहार्यों तथा, ९लोकालोक प्रकाशकरनार श्रीकेवलज्ञानरूपज्ञानातिशय १० सुर असुर मनुष्यादिए करेली समवसरण प्रातिहाया दि स्वरूप विशिष्ट पूजातिशय. ११ देव, मनुष्य, तिथंच सर्वनी भाषाने अनुसरती सकल संशयने उच्छेद करनार, पांत्रीश गुणोए शणगारायेल वाणीरूप वचनातिशय. १२ पोताना घातीकमोरूप कष्टनिवारण थया तथा
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
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