SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 381
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (३६६) नवपद विधि विगेरे संग्रह ॥ कल शिरताज रे ॥ निर्मल तन मन सेवतां, सारे वांछित काज रे ॥ चेतन० ॥ १६ ॥ आशो सुदि मांहे मांडीए, सातमी तप एह रे ॥ नव आंबिल करी निर्मला, आराधो गुणगेह रे॥ चेतन० ॥१७॥ विधिपूर्वक करी धोतीयां, जिन पूजो त्रण काल रे ॥पूजा आठ प्रकारनी, कीजे थइ उजमाल रे॥चेतन०॥१८॥ निर्मल भूमि संथारीए, धरीए शील जगीश रे ॥ जपीए पद एकेकनी, नोकारवाली वीश रे ॥ चेतन० ॥ १९ ॥ आठे थोइए वांदीए, देव सदा त्रण वार रे॥ पडिक्कमणां दोय कीजीए, गुरु वेयावच्च सार रे ॥ चेतन० ॥ २०॥ काया वश करी राखीए, वचन वि. चारी बोल रे ॥ ध्यान धर्मनुं धारीए, मनसा कीजे अडोल रे ।। चेतन० ॥ २१ ॥ पंचामृत करी एकठां, परिगल कीजे पखाल रे ॥ नवमे दिन सिद्धचक्रनी, कीजे भक्ति विशाल रे ॥ चेतन० ॥ २२ ॥ सुदि सातमथी इणी परे, चैत्री पूनम सीमरे ॥ ओली एह आराधीए, नव आंबिलनी नीम रे ॥ चेतन० ॥२३॥ एम एकाशी आंबिले, ओली नव निरमाय रे ॥ साढे
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy