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________________ आवश्यक ( प्रतिक्रमण) विगेरे क्रियामां राखवो जोइतो उपयोग ॥ (२१) आवश्यक साचववाना छे, शिष्ये हमेशां पोताना श्वासोच्छ्वास, अधोवात विगेरेथी गुरुनी आशातना टाळवा माटे गुरुना अवग्रहथी बहार रहेतुं जोइये. त्यां रह्यो छतो उभा उभा "इच्छामि खमासमणो वंदिउं जावणिजाए नीसीहीआए अणुजाणह मे मिउ गहं" आटलुं बोली अवग्रहमां पेसवानी आज्ञा मांगवा मस्तक नमाववुं. खमासमण विधिमा बतावेल नव संडासा प्रमार्जी 'नसीही' बोलता अवग्रहमां प्रवेश करखो. उभडक पगे बेसीने खमासमण विधिमा कहेला १० थी १४ सुर्धाना पांच संडासा प्रमार्जी चरवळा उपर मुहपत्ती मुकवी ( गुरु चरण स्थाने स्थापवी ) बेउ हाथ बे ढींचणनी अंदर राखी दस साथै तमाम प्रकारनी अविनय आशातनाओ वर्जवानो अर्थ होवाथी गुरुवन्दन सूत्र कहेवाय छे, आ सूत्रथी कोनी कोनी वन्दना करवी विगेरे विचार खास समजवा योग्य छे.
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
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