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________________ (२०) नवपद विधि विगेरे संग्रह ॥ ५ पुस्तकने थुक लगाड नहि, पार्नु फेरवतां केटलाको धुंकवाळी आंगळी करे छे ते मोटामां मोटी भुल छे, पुस्तक पासे छते वाछूट करवी नहि; पग लगाडवो नहि, पुस्तक पासे छते झाडो, पेशाब, करवा नहि, पुस्तक उपर बेसबुं के सुवु नहि, पुस्तक पासे राखी भोजन करवं नहि. अक्षर थंकथी भूसवो नहि, पुस्तकने जेम तेम उंचेथी पटकवू नहि, पुस्तकनो अग्नि के पाणीथी नाश करवो नहि, पुस्तकने फाडवू के बीजी कोइरीते नाश करवो नहि. ॥आवश्यक (प्रतिक्रमण) विगेरे क्रियामा राखवो जोइतो उपयोग तथा साचववानो विधिः॥ वांदणानुं नाम द्वादशावर्त्तवन्दन अथवा गुरु महाराजनुं उत्कृष्टवन्दन कहेवाय छे, वांदणा देता २५ १ आ सूत्र बोलतां बार आवों साचववाना होवाथी द्वादशावर्त्तवन्दन सूत्र कहेवाय छे. २ गुरु महाराजनी वन्दना पूर्वक सुखशाता ( कुशल ) पृच्छा
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
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