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॥ स्तवनो ॥
( ३०७ )
जग जयकार ॥ १ ॥ जीहो जिहां नवपद आधार ॥ भ० ॥ ए आंकणी ॥ जीहो तेह दिवस आराधवा || लाला ॥ नंदीश्वर सुर जाय ॥ जीहो जीवाभिगम मांहे कयुं ॥ ला० ॥ करे अड दिन महिमाय ॥ ज० || २ || जीहो नवपद केरा यंत्रनी || ला० ॥ पूजा कीजे रे जाप ॥ जीहो रोग शोक सवि आपदा ॥ला०॥ नासे पापनो व्याप ॥ भ० ॥ ३ ॥ जीहो अरिहंत सिद्ध आचारज ॥ला० ॥ उवझाय साधु ए पंच ॥ जीहो दंसण नाण चारित तवो ॥ ला० ॥ ए चउ गुणनो प्रपंच ॥ ॥ भ० ॥ ४ ॥ जीहो नवपद आराधतां ॥ ला० ॥ चंपापति विख्यात || जीहो नृप श्रीपाल सुखीओ थयो ||ला० ॥ ते सुणजो अवदात ॥ भ० ॥ ५ ॥ इति ॥ ॥ ढाल बीजी ॥
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|| कोइलो पर्वत धुंधलो रे लो ॥ ए देशी ॥
॥ मालव धुर उज्जेणीए रे लो. राज्य करे प्रजापाल रे ॥ सुगुणी नर ॥ सुरसुंदरी मयणासुंदरी रे लो० बे पुत्री तस बाल रे ॥ सु०॥ श्री सिद्धचक्र आराधीए रे