SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 313
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २९८ ) नवपद विधि विगेरे संग्रह || MMMMMM थया सिद्ध सरूपी रे लोय ॥ अहो न० ॥ सिद्ध नमो भवि भावथी, जे अगम अरूपी रे लोय | अहो जे० ॥ ३ ॥ गुण छत्तीसे शोभता, सुंदर सुखकारी रे लोय ॥ अहो सुं० ॥ आचारज तीजे पदे, वंदु विकारी रे लोय ॥ अहो वं० ॥ ४ ॥ श्रागमधारी उपशमी, तप डुविध आराधी रे लोय ॥ अहो त० ॥ चोथे पद पाठक नमो, संवेग समाधि रे लोय ॥ अहो सं० ॥ ५ ॥ पंचाचार पालणपरा, पंचाश्रव त्यागी रे लोय ॥ अहो पं० ॥ गुणरागी मुनि पांचमे, प्रणमुं वडभागी रे लोय ॥ अहो प्र० ॥ ६ ॥ निज पर गुणने ओलखे, श्रुत श्रद्धा आवे रे लोय ॥ अहो श्रुत० ॥ छट्ठे गुण दरसण नमो, आतम शुभ भावे रे लोय ॥ अहो आ० ॥ ७ ॥ ज्ञान नमो गुण सातमे, जे पंच प्रकारे रे लोय ॥ अहो जे० ॥ ८ ॥ आठमे चारित्रपद् नमो, परभाव निवारी रे लोय ॥ अहो प० ॥ खंत्यादिक दश धर्मनो, जेह छे अधिकारी रे लोय ॥ अहो जे० ॥ ९ ॥ नवमे वली तपपद नमो, बाह्याभ्यंतर
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy