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नवपद विधि विगेरे संग्रह |
तेवी रीते उपयोग पूर्वक आहार करवो, तेमां द्रव्योनी गणतरी राखवी, बनी शके तो चौद नियमो धारवा उपयोग राखवो.
दरेक सूत्रोनुं उच्चारण करतां तेमां रहेला लघु, गुरु, संयुक्त, असंयुक्त वर्णोनुं लक्ष्य राखतुं पद, संपदा ( अर्थाधिकार युक्त विश्रामस्थानो) नो उपयोग राखवो, अर्थ उपर खास ध्यान राख. न्यूनाधिक अक्षरो न करवा, कानो मात्रा अनुस्वार विगेरेनो बीलकुल फेरफार थाय नहि. वर्ण, अर्थ, अने आलंबन प्रतिमाजी, गुरु, स्थापना विगेरेनुं अवलंबन करी उपयोगमां वर्त्ततुं.
दरेक क्रियामां जे जे आलंबन होय तेनाथी बाकीनी ऊर्ध्वदिशा (ऊंचे) अधोदिशा (नीचे) तिर्यग्दिशा (अडखे पडखे ) ए त्रणे दिशाओ तरफ जोवानो त्याग करवो, एकज सन्मुखभावे क्रिया करवी.
दरेक क्रियामां रुपं अने महोर छापना दृष्टान्ते बहुमान अने भक्तिनी चउभंगीनुं स्वरूप खास समजी आराधक दशाना भांगानों आदर करवो.