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________________ क्रियाओमां राखg जोइतुं सावधानपणुं ॥ (१३) धुंक--बळखो विगेरे जेम तेम नांखी न देवा. जग्या जोइ परठववा, तेना उपर धूळ या रक्षा नांखवी. मा, स्थंडिल विगेरेमां पण लीलफूल, कीडीना नगरा, वनस्पति विगेरे तमाम जोइने जयणाथी वर्त. ___ आर्त रौद्र ध्यान, अशुभलेश्या, उपाधि संकल्पविकल्पो वर्जवां. कोइनी साथे कलह, क्रोध विगेरे करवो नही तेमज तेनी उदीरणा पण करवी नहि. प्रतिक्रमण, पडिलेहण, देववन्दन, प्रभुपूजन, विगेरे क्रिया करतां तथा गुणणुं गणवू, आहार वापरखो, मार्गे जता आवता, स्थंडिल मा करवा जतां विगेरे प्रसंगे बोलवू नहि. आयंबिल करती वखते नवकार गणी आहार स्वादिष्ट के विरस होय तो पण आहारनी वस्तु उपर के आहार बनावनार विगेरे उपर राग द्वेष करवो नहि, वापरतां 'सुरसुर' 'चबचब' शब्द थाय नहि. तेम बह उतावळ के बहु धीमुं नहि, दांणो छांटो पड़े नहि
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
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