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नवपद विधि विगेरे संग्रह ॥
|| गाथा || आर्यागीति ॥
मचकुंदचंपमालइ - कमलाई पुष्पंचवण्णाई ॥ जगनाहन्हवणसमये, देवा कुसुमांजली दिंति ॥ ५ ॥ ॥ नमोऽर्हत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्वसाधुज्यः ॥ ॥ कुसुमांजलि || ढाळ | रयण सिंहासन जिन थापीजे, कुसुमांजलि प्रभु चरणे दीजे ॥ कुसुमांजलि मेलो शान्ति जिणंदा ॥६॥ ॥ दोहा ॥ जिण तिहुं कालय सिद्धनी, पडिमा गुण भंडार ॥ तसु चरणे कुसुमांजलि, भविक दुरित हरनार ॥७॥ ॥ नमोऽर्हत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्व साधुभ्यः ॥
|| कुसुमांजलि || ढाळ ||
कृष्णागरु वर धूप धरीजे, सुगंध कर कुसुमांजलि दीजे ॥ कुसुमांजलि म्हेलो नेमि जिणंदा ॥ ८ ॥
॥ गाथा || आर्या गीति ॥
जसु परिमलबल दहदिसि, महुकर झंकारसद संगीया ॥ जिचलणोवरि मुक्का, सुरनरकुसुमांजलि सिद्धा ॥९॥