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________________ ॥ अथ श्री स्नात्र पूजानो विधि ॥ प्रथम त्रण गढने बदले त्रण बाजोठ मूकीने उपला बाजोठने मध्यभागे केशर (कुंकुम)नो साथीओ करवो, अने तेनाआगळ केशर (कुंकुम)ना सा आ चार करीने उपर अक्षत नांखवा तथा फळ मूकवां,वचला साथीआ उपर रुपानाणुं मूक, अने चारे साथीआ उपर कलश स्थापवा, तेमां पंचामृत करी जल भरवू. तथा वचला साथीआ उपर थाळ मूकी केशरनो साथीओ करी अक्षत नांखी फळ मूकी नवकार त्रण गणी प्रभुने पधराववा. पछी बे सनाथीआओने ऊभा राखीने त्रण नवकार गणाववा, पछी प्रभुना जमणा पगना अंगुठे कळशमांथी जल रेडवू, अने अंगलूहणां त्रण करवां पछी केशरथी पूजा करी हाथ धूपीने सनाथ आना जमणा हाथमां केशरनो चांल्लो करवो. पछी कुसुमांजलि (फूल) होय ते हाथमां आपवी, पछी नीचे प्रमाणे, कहे, दीपक एक-प्रभुनी जमणी बाजुए करवो
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
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