________________
(६)
aaya विधि विगेरे संग्रह |
सर्व क्रियाओमां तेनी सफलता माटे राखतुं जोईतुं सावधानपशुं ?
सद्गुरुना उपदेशमां [ आज्ञानुसार ] वर्त्तनार, विधि प्रत्ये बहुमान राखनार, जे क्रिया चालती होय ते क्रियामां चित्तनी एकाग्रता करनार, लघु[हलु] कर्मी भव्य जीवनी समजणपूर्वक नियाणा रहित थती शुभक्रियाओ अवश्य फल आपनार होय छे, अने साचे सार्चु मुक्तिनुं कारण पण तेज छे.
दरेक क्रिया करतां अनुष्ठानोनुं स्वरूप जाणवा लायक छे, तेमांथी हे [त्याज्य] अनुष्ठानो त्याग करवा, अने उपादेय (आदरणीय) अनुष्ठानो आदर करवा खास प्रयत्न करवो.
रोगग्रस्त अने आरोग्यवान् जीवना भेदथी जेम भोजनादि क्रियाना फलमां भेद पडे छे. एकने जे भोजन रोग वृद्धि करनार होय छे ज्यारे बीजाने तेज भोजन बल पोषण करनार होय छे, तेम क्रिया करनारी परिणतिना भेदथी अनुष्ठानो पण विभिन्न फल आपनार थाय छे.