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________________ (१४०) नवपद विधि विगेरे संग्रह ॥ इच्छारोधे संवरी, परिणति समता योगेरे। तप ते एहीज आतमा, वनें निजगुण भोगेरे।।वीर०॥ प्रदक्षिणा दइ स्वस्तिक करवा पूर्वक खमा०. दइ श्री तपपदना ५० भेदगर्भित नमस्कार पदो. १ श्री यावत्कथिकानशनस्वरूपतपसे नमः २,, ईत्वरिकानशनस्वरूपतपसे नमः ३, बाह्यौनौदर्यस्वरूपतपसे नमः ४ ,, आभ्यंतरौनौदर्यस्वरूपतपसे नमः ५ ,, द्रव्यतो वृत्तिसंक्षेपस्वरूपतपसे नमः ६ ,, क्षेत्रतो वृत्तिसंक्षेपस्वरूपतपसे नमः ७ ,, कालतो वृतिसंक्षेपस्वरूपतपसे नमः ८,, भावतो वृत्तिसंक्षेपस्वरूपतपसे नमः ९ ,, लोचादि कायक्लेश(रसत्याग)स्वरूपतपसे नमः १० ,, रसत्यागस्वरूपतपसे नमः ११ ,, इंद्रियकषाययोगसंलीनतास्वरूपतपसे नमः
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
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