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________________ दर्शनपदनी भावना माटे नमस्कार पदोना अर्थ ॥ (१०३) १९ जिनेश्वरनी भक्तिथी जे सिद्ध न थाय ते बीजा थी होइ शकेज नही एवी जे दृढता ते वचनश्रुद्धि, २० छेदन भेदनादि अनेक प्रकारे सहन करता पण जिनेश्वर शिवाय बीजा देवने नमे नही ते का यशुद्धि, २१ जिनेश्वरदेवना वचनमां सर्वथी के देशथी शंकान ___ करवी ते शंकादूषणत्याग, २२ अन्यमतनी सर्वथी के देशथी अभिलाषा न करवी ते कांक्षादूषणत्याग, २३ धर्मना फळना संदेहादि न करवां तथा साधुना ___ मळादिकनी जुगुप्सा न करवी ते विचिकित्सा दूषणत्याग, २४ मिथ्यादृष्टिना मिथ्यात्ववृद्धिकारक गुणोनी स्त___ वना न करवी ते मिथ्यादृष्टिप्रशंसादूषणत्याग. २५ मिथ्यादृष्टि जीवोनी संगति न करवी ते मिथ्या दृष्टिसंसर्गदूषणत्याग, २६ वर्तमानश्रुतना सूत्र अर्थना पारगामी ते प्राव चनिकप्रभावक,
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
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