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________________ (१०२). नवपद विधि विगेरे संग्रह ॥ ११ आचारांग विगेरे अंग उपांग विगेरे सिद्धान्तोनो ___ भक्ति आदि विनय ते श्रुतविनय. १२ क्षमा आदिक दशधर्म प्रत्ये बहुमानादिक भक्ति __ आदि विनय ते क्षमादिधर्मविनय. १३ क्षमादि धर्मना पालणहार साधु भगवंतोनो वि नय ते साधुविनय. १४ पांच आचारना पालक आचार्य भगवंतोनो भक्ति __ आदि विनय ते आचार्यविनय. १५ सूत्र सिद्धान्तना भणावनार उपाध्याय भगवंतो नो भक्ति आदि विनय ते उपाध्यायविनय, १६ तीर्थकर देवोए स्थापन करलां चतुर्विध संघनो __ भक्ति आदि विनय ते प्रवचनविनय, १७ क्षायिकादि सम्यक्त्वना भेदोनो भक्ति आदि विनय ते दर्शनविनय, १८ श्री जिनेश्वर तथा जिनेश्वरप्रतिपादित तत्त्वो ते शिवाय तमाम जुलु छे एवी जे दृढ अंतःकरणनी विचारणा ते मनःश्रुद्धि,
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
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