SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 106
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ साधुपदोनी भावना माटे नमस्कार पदोना अर्थ ॥ (९१) २० सर्वथा भावविशुद्धिरूप साधुधर्म २१ सर्वथा पडिलेहणादिक क्रियामां शुद्धि राखवा स्व रूप साधुधर्म. २२ सर्वथा संयम व्यापारमा उपयोग राखवा स्वरूप साधुधर्म. २३ सर्वथा अशुभमनोयोगने रूंधवा स्वरूप साधुधर्म. २४ सर्वथा अशुभ वचनयोगने रूंधवा स्वरूप साधुधर्म. २५ सर्वथा अशुभ काययोगने रूंधवा स्वरूप साधुधर्म. २६ सर्वथा शीतादिपरिषहोने सहनशीलता स्वरूप साधुधर्म २७ सर्वथा मारणान्तिक उपसर्गोने पण सहन करवा स्वरूप साधुधर्म. आ २७ गुणोथी विभूषित श्री साधु भगवंतोने म्हारो नमस्कार थाओ.श्रीसाधु पदाराधननो काउस्सग्ग पूर्वनी माफक जाणवो.मात्र“सगवीसइगुणविभूसियसिरिसाहपयाराहणथं काउस्सग्गंकरोमि” (सप्तविंशतिगुणविभूषित श्रीसाधुपदाराधनाथ) आ प्रमाणे बोलवू२७लोगस्सनो काउस्सग्ग करवो, जाप पद "ओ ही नमो लोए
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy