________________
- ઉવસગ્ગહરે તેત્ર एए समरंताणं मणे, न दुहवाहि न तं महादुक्खं । नामपि मंतसम्मं, पयर्ड नत्थि त्थ संदेहो ॥२३॥ [ॐ ही श्री एए समरंताण मणे, ॐ ही श्री न होइ वाहि न त महादुक्ख । ॐ ही श्री नामपि मंतसमं, ॐ ही श्री पयर्ड नत्थित्थ संदेहो ॥२२॥] जलजलणभय तह सप्पं, सीह चोरारि संभवे विअप्पं । जो समरेइ पासपहुं, पहवइन कयावि किंचि तस्स ॥२४॥ [ ॐ ह्रीं श्री जलजलणभय तह सप्प, ॐ हीं श्री सीहचोरारि संभवे वि अप्पं । ॐही श्री जो समरेइ पासपहुं, ॐ ह्रीं श्रीं पहवइ न कयावि किंचि तस्स ॥२४॥] इअलोगट्टि परलोगडि, जो समरेइ पासनाहं तु । तत्तो सिज्झेइ खिप्पं, इह नाहं सरह भगवंत ॥२५॥ [ ॐ ही श्री क्ली ही इअलोगट्टि पर लोगहि, ॐ ही श्री जो समरेइ पासनाहं तु । ॐ हाँ ही हः हूँ गाँ गी गु गः तत्तो सिज्झेइ खिप्पं, इह नाहं सरह भगवंतं ॥२५॥]