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________________ में कांग्रेस में चला गया था। उस समय मेरी उम्र मात्र 15 वर्ष थी।49 विद्यार्थी जीवन से ही अक्षयकुमार जैन की राष्ट्रीय आन्दोलन में गहरी रूचि थी। उन्होंने अध्ययन के दौरान बनारस में जैन छात्रों का एक संगठन बनाया, जिसके माध्यम से उन्होंने वहाँ के जैन मंदिरों पर धरना दिया तथा स्वदेशी का प्रचार किया। तत्कालीन पत्र 'जैन मित्र' में समाचार छपा था-'जैन छात्र संगठन (भदैनी घाट बनारस) ने अक्षय कुमार जैन के नेतृत्व में तमाम जैन मंदिरों पर विदेशी वस्त्र के त्याग कराने हेतु धरना दिया। चार दिन की कड़ी मेहनत के बाद यह धरना पूर्णतः सफल रहा। इसी प्रकार उन्होंने निरन्तर राष्ट्रीय आन्दोलन में कार्य किया। अक्षय जी को इलाहाबाद स्थित आनन्द भवन में जाने का भी अवसर मिला। जहाँ से उन्होंने देशभक्ति की दृढ़ प्रतिज्ञा की। उन्होंने लिखा है, सन् 1930 में जब एक युवक की हैसियत से आनन्दभवन में मेरा जाना हुआ, तो मैंने इन्दिरा जी को खद्दर का कुर्ता और पायजामा पहने अपने पिता, दादा और गाँधी की तरह भाषण करते हुए देखा, उस समय छोटे बच्चों की उस भीड़ को वे सम्बोधित करके कह रही थी, 'आगे बढ़ो कांग्रेस का झंडा ऊँचा रहे, ब्रिटिश हुकूमत की फौज-पुलिस से जरा भी मत डरो,' नन्हीं इन्दिरा उस समय तक अक्षयकुमार जैन निडरता का पाठ पढ़ चुकी थी। इस प्रकार अक्षयकुमार जैन को बचपन से ही राष्ट्रीय नेताओं को नजदीक से देखने व जानने का अवसर मिला। अलीगढ़ में इस आन्दोलन में कार्य करने के कारण धरमदास जैन ने अपने साथियों सहित जेल यात्रा की। 'जैन मित्र' ने लिखा-'हाथरस में राष्ट्रीय नेता धरमदास जैन जेल गये हैं।'52 श्री जैन ने अलीगढ़ के सभी मंदिरों में विदेशी वस्त्रों को लाने पर पाबंदी लगाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। - मथुरा जिले में महात्मा गाँधी के आह्वान पर नमक सत्याग्रह प्रारम्भ हुआ। जगह-जगह नमक कानून तोड़ा जाने लगा। विदेशी वस्त्रों की दुकानों पर पिकेटिंग का कार्य बड़ी तत्परता से किया गया। जैन समाज द्वारा भी इन आन्दोलनों में सक्रियता पूर्वक भाग लिया गया। मथुरा में संचालित श्री ऋषभ ब्रह्मचर्य आश्रम में धर्म शिक्षा, लौकिक शिक्षा तथा देशभक्ति की शिक्षा दी जाती थी। देशभक्ति की शिक्षा का इतना अधिक प्रभाव जैन नवयुवकों पर पड़ा कि उन्होंने इस आन्दोलन में सक्रियता पूर्वक भाग लिया। जयन्तीप्रसाद जैन ने इस आन्दोलन के तहत दिन-रात कार्य किया तथा विदेशी वस्त्रों की होली जलायी। सूचना विभाग उ.प्र. के 90 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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