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जीना मुजफ्फरनगर में राष्ट्रीय स्तर की स्वतंत्रता सेनानी श्रीमती लेखवती जैन (देवबंद) का आगमन भी होता रहता था। 10 मई, 1935 को 'जैन विद्यार्थी सम्मेलन' के द्वितीय अधिवेशन के अध्यक्षीय भाषण में उन्होंने कहा था कि आज हम एक अद्भुत राजनैतिक युग से गुजर रहे हैं। निकट भविष्य में हमारे देश की शासन पद्धति में एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन होनेवाला है। नये शासन विधान के अनुसार प्रान्तीय शासन की बागडोर प्रजा द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के हाथों में आ जायेगी। इस सम्बन्ध में मैं जैन युवकों का आह्वान करती हैं कि यदि वह चाहते हैं कि वे देश और जाति की सेवा में सक्रिय भाग लें और निज समाज को गौरवान्वित करें, तो इसके लिए उन्हें अभी से तैयारी करनी होगी। उन्होंने कहा कि आपको चाहिए कि आप राजकीय कार्यों में अधिक तशी श्रीमती लेखवती जैन जब से अधिक भाग लें। इस समय देश को आपकी ।। आवश्यकता है। अगर आप लोग इन आन्दोलनों में कांग्रेस का साथ देंगे, तो जैन समाज अपने सक्रिय योगदान के लिए स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में सदैव स्मरण किया जाता रहेगा। इस प्रकार लेखवती जैन के दौरों से भी जैन समाज को प्रेरणा मिलती रही। राम मेरठ जिला प्रारम्भ से ही स्वतंत्रता आन्दोलन में योगदान देने के लिए जाना जाता है। 1930 में नमक सत्याग्रह के आरम्भ होने पर स्थानीय कार्यकर्ताओं ने इसमें सक्रिय भाग लिया। सैंकड़ों लोग अंग्रेजों के विरुद्ध आगे आये और मेरठ के नागरिकों ने इस प्रकार खुलकर आन्दोलनों में भाग लिया कि वातावरण में से विदेशी दासतां की गंध गायब हो गयी। मेरठ में जगह-जगह सत्याग्रह आश्रमों की स्थापना की गयी। इसके अंतर्गत खेकड़ा और बड़ौत में भी सत्याग्रह आश्रम स्थापित हए।5 6 अप्रैल, 1930 को सत्याग्रहियों का एक दल मेरठ से रवाना हुआ। यह जत्था 11 अप्रैल को बिजवाड़ा-बिनौली होते हुए बड़ौत पहुँचा। हजारों लोग मार्ग में स्वागत के लिए खड़े थे। बड़ौत में इनका जुलूस निकाला गया। सत्याग्रहियों ने देश भक्ति का संदेश दिया तथा 12 अप्रैल को नमक बनाया और उसे गाँधी चौक पर खुले रूप से बेचा गया।
_बड़ौत की जैन समाज ने इस आन्दोलन में सक्रिय योगदान दिया। कामता प्रसाद जैन, बाबूराम जैन, शीतलप्रसाद जैन आदि अनेक कार्यकर्ताओं ने आन्दोलन
नागाजासविनय अवज्ञा आन्दोलन और जैन समाज :: 79