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स्यावाद जैन महाविद्यालय, काशी
ब्रह्मचारी सीतलप्रसाद उस समय महाविद्यालय के अधिष्ठाता थे। उन्होंने महाविद्यालय के छात्रों को देश सेवा के कार्य करने हेतु सदैव प्रेरित किया। ये जैन छात्र काशी में तो कांग्रेस के कार्यों में भागीदारी करते ही थे। बाहर के जनपदों में जाकर भी ये देश सेवा में भाग लेते थे। कानपुर में हुए कांग्रेस के अधिवेशन में इस महाविद्यालय का स्वयंसेवक दल सेवा कार्य करने हेतु गया था।110
जैन महाविद्यालय के 17वें वार्षिकोत्सव पर बाबू श्री प्रकाश ने कहा था-इस जैन विद्यालय के छात्रों ने असहयोग आन्दोलन में प्रशंसनीय कार्य किया। मुझे आशा है कि जब तक हमारा देश स्वतंत्र नहीं हो जायेगा, तब तक ये विद्यार्थी इसी उत्साह पूर्वक स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लेते रहेंगे। भारत के इतिहास में यह समय बड़े महत्व का है। इस समय हम सभी मिलकर जो देश हितकारी कार्य करेंगे, उसका परिणाम बहुत व्यापक होगा। हमारे देश में जो शस्त्रहीन युद्ध हो रहा है, उस पर सारे संसार की दृष्टि गड़ी हैं। आज हम एक ऐसा बीज बो रहे हैं, जिसके वृक्ष भविष्य में सारे संसार में फैल जायेंगे और उसकी छाया में सभी देशों के पीड़ित मनुष्य विश्राम कर सकेंगे।
___ इस वार्षिकोत्सव पर ब्रह्मचारी सीतलप्रसाद, सेठ मनिकचंद जैन बम्बई, द्वारिकाप्रसाद जैन रईस बिजनौर, नानकचन्द जैन बनारस, विद्यालय के मंत्री सुमतिलाल जैन, प्रो. चन्द्रशेखर जैन शास्त्री आदि ने जैन समाज का आह्वान किया कि वे राष्ट्रीय आन्दोलन में तन-मन-धन से अपना सहयोग दें। बनारस के अन्य जैन नागरिक भी देश सेवा के लिए आगे आये और उन्होंने अपना योगदान दिया।
70 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान