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________________ जैन सदैव कांग्रेस के कार्यक्रमों में सक्रिय रहे। 1923 के चुनावों में वे उ. प्र. विधान परिषद् के सदस्य बने । नवम्बर 1924 में श्री नेमिशरण जैन के नेतृत्व में बिजनौर में अंग्रेजी प्रशासन के निर्णयों का सख्त विरोध किया गया। बिजनौर के पास स्थित दारानगर में गंगा के तट पर प्रतिवर्ष कार्तिक स्नान पर बड़ा मेला लगता था, जिसमें एक लाख के लगभग स्थानीय जनता स्नान करने पहुँचती थी । इस मेले का प्रबन्ध जिला बोर्ड द्वारा किया जाता था। 1923 में जिला बोर्ड ने इस मेले का उद्घाटन पं. जवाहरलाल नेहरू से कराया और मेले के सहयोगियों को श्री सी. एस. रंगा ऐयर द्वारा पुरस्कृत किया गया। जिला बोर्ड द्वारा राष्ट्रीय नेताओं को बुलाने के कारण अंग्रेजी सरकार बहुत नाराज हुई, उसने अगले साल (1924) से इस मेले का प्रबंध जिला बोर्ड से छिनकर जिला मजिस्ट्रेट के सुपुर्द कर दिया। मजिस्ट्रेट ने नवम्बर 1924 में होने वाले इस मेले पर टैक्स लगा दिया। कांग्रेस के जिला मंत्री नेमिशरण जैन ने मजिस्ट्रेट को पत्र लिखकर यह पूछा कि मेले में लगाने वाला टैक्स कानून की किस धारा के अंतर्गत लगाया गया है? मजिस्ट्रेट उत्तर में कुछ कानून न बता सके। इस पर श्री जैन ने प्रशासन को चेतावनी दी कि बिना कानून मालूम किये जनता टैक्स नहीं देगी 14 नेमिशरण जैन ने अपनी बात पर अडिग रहते हुए बिजनौर की जनता को बिना टैक्स दिये मेले में जाने को प्रोत्साहित किया। 9 नवम्बर, 1924 को श्री जैन स्वयं, मेले में बिना टैक्स दिये गये । उनके जाने के बाद विश्वामित्र गोयल की धर्मपत्नी ज्ञानवती देवी, द्वारकाप्रसाद की धर्मपत्नी विद्यावती देवी एवं एक अन्य महिला सत्यवती देवी ने शाम 7 बजे बिना टैक्स दिये जबरदस्ती मेले में प्रवेश किया। जिला मजिस्ट्रेट ने इस बात पर क्रोधित होकर 9 नवम्बर की रात को ही पुलिस कार्यवाही के आदेश दे दिये। पुलिस ने रात को 11 बजे नेमिशरण जैन के आवास पर छापा मारा, परन्तु श्री जैन पुलिस को चकमा देकर निकल गये। उसके बाद पुलिस ने उन तीनों महिलाओं के घर जाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार कर तीनों को जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष लाया गया, मजिस्ट्रेट ने उन्हें चेतावनी देते हुए रात के 1 बजे उन पर पांच-पांच रुपये का जुर्माना लगा दिया । 10 नवम्बर को जिला प्रशासन की इस मनमानी की खबर पूरे जनपद में फैल नेमिशरण जैन असहयोग आन्दोलन और जैन समाज की भूमिका :: 63
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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