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दौरान भी अपनी सेवाएं दी। कानपुर के बैरिस्टर चम्पतराय जैन ने समाजसेवा में देश एवं विदेशों में ख्याति प्राप्त की। महात्मा गाँधी और रवीन्द्र नाथ टैगोर से उनका घनिष्ठ सम्बन्ध था। उनके पौत्र लक्ष्मीचन्द्र जैन ने 1934 में आई.सी.एस. की परीक्षा उत्तीर्ण की थी।2 चम्पतराय जैन ने 1942 में समाजसेवा हेतु 2 लाख रुपये से सी.आर. जैन ट्रस्ट की स्थापना की। इस ट्रस्ट से जरूरतमंदों की मदद की जाती है। कर
जैन संत गणेशप्रसाद वर्णी ने उत्तर प्रदेश के साथ श्री गणेशप्रसाद वर्णी ही अन्य प्रान्तों में भी विभिन्न शिक्षण संस्थाओं की स्थापना करायी। श्री वर्णी का जन्म ललितपुर के हसेरा गाँव में हुआ था। सन् 1905 में उन्होंने बनारस में स्याद्वाद जैन महाविद्यालय की स्थापना की। एक्ट 21 सन् 1860 के अनुसार 15 दिसम्बर 1913 को इस महाविद्यालय की रजिस्ट्री हुई। इस महाविद्यालय ने प्राच्य शिक्षण के साथ ही आधुनिक शिक्षा का भी उत्तम प्रबंध किया। सन 1916 में इस महाविद्यालय में महात्मा गाँधी पधारे थे। उस समय विद्यालय की रिमार्कबुक में उन्होंने लिखा था-इस संस्था की मुलाकात लेने से मैं बहुत खुश हुआ हूँ। मुझे उम्मीद है कि इस संस्था के विद्यार्थी ऐसे धर्म निष्ठ होंगे, जिससे समस्त हिन्द को फायदा होगा। सन् 1939 में इस महाविद्यालय से प्रथम आचार्य व एम.ए. का ka drA song न येत
A05142d DRooarn बैच निकला था। स्याद्वाद जैन महाविद्यालय
ले
समान ने स्वतंत्रता आन्दोलन में देश का बढ़-चढ़ कर का
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ANI साथ दिया।
श्री गणेशप्रसाद वर्णी ने पूरे संयुक्त प्रान्त रिमार्कबुक में गांधी जी के वचन में भ्रमण करके शिक्षा की ज्योति जगाई। उनकी प्रेरणा से 1947 तक अनेक शिक्षण संस्थाओं की स्थापना उ.प्र. के साथ ही अन्य प्रान्तों में भी की गयी। इन संस्थाओं में श्री वर्णी जैन इण्टर कॉलेज ललितपुर, के. के. जैन कॉलेज खतौली, गणेश दिगम्बर जैन संस्कृत विद्यालय सागर, गुरुदत्त दिगम्बर जैन पाठशाला द्रोणागिरि, श्री शिक्षा मंदिर जबलपुर, श्री पार्श्वनाथ विद्यालय बरुआ सागर, श्री शांति जैन पाठशाला आहार, श्री गणेश गुरुकुल पटना गंज, जैन
शानाय
कारक
उत्तरप्रदेश के जैन समाज... :: 37