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हस्तिनापुर (मेरठ) जैन समाज का प्राचीन तीर्थक्षेत्र है। यह स्थान प्रथम जैन तीर्थंकर ऋषभदेव के प्रथम आहार दान क्षेत्र एवं सोलहवें, सत्रहवें, अट्ठारहवें तीर्थंकर क्रमशः श्री शांतिनाथ, श्री कुंथुनाथ एवं श्री अरहनाथ के जन्म स्थान के रूप में जैन समाज द्वारा पूज्य माना जाता है। हस्तिनापुर में जैन समाज ने कई विशाल जैन मंदिरों, धर्मशालाओं, शिक्षण संस्थाओं की स्थापना करायी। सन् 1911 में हस्तिनापुर में महात्मा भगवानदीन ने ऋषभ-ब्रह्मचार्याश्रम नामक गुरुकुल की स्थापना की थी। यह गुरुकुल प्राचीन शिक्षण व्यवस्था के साथ ही आधुनिक शिक्षा भी उपलब्ध कराता था। प्रसिद्ध साहित्यकार जैनेन्द्र कुमार इसी गुरुकुल के विद्यार्थी रहे। स्थानीय जनता के शिक्षण हेतु हस्तिनापुर में जैन समाज द्वारा स्थापित गुरु विरजानंद जैन हायर सेकेण्ड्री स्कूल की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। 1945 से हस्तिनापुर में जैन गुरुकुल संस्कृत विद्यालय विधिवत् कार्य कर रहा है। इस गुरुकुल की अपनी बड़ी बिल्डिंग हैं तथा इसमें दूर-दूर के विद्यार्थी अध्ययन हेतु आते हैं। इस प्रकार जनपद मेरठ के जैन समाज ने सामाजिक क्षेत्र में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। पद जैन समाज सहारनपुर ने भी आगे आकर सामाजिक क्षेत्र में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। स्व नाम धन्य । लाला जम्बूप्रसाद जैन रईस सहारनपुर की एक बहुत बड़ी रियासत के मालिक थे। जम्बूप्रसाद जैन अपनी दानवीरता के लिए सारे हिन्दुस्तान में विख्यात थे। सामाजिक क्षेत्र में उनके द्वारा विभिन्न कार्य कराये गये। अंग्रेजी सरकार ने कई बार उन्हें प्रभावित करने के लिए रायबहादुर, ऑनरेरी सेठ जम्बूप्रसाद जैन मजिस्ट्रेट आदि उपाधियाँ देने की कोशिश की, परन्तु उन्होंने सदैव यह प्रस्ताव अस्वीकृत कर दिया। उन्होंने अपने मिलने का समय सायं 5 बजे निर्धारित कर रखा था। जिले का कलक्टर भी यदि इससे पहले मिलने आता, तो उसे निराशा ही हाथ लगती। कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' ने लिखा है- 'लखनऊ दरबार में आने हेतु सेठ जम्बूप्रसाद जैन को गवर्नर का निमंत्रण मिला। उन्होंने यह कहकर उसे अस्वीकृत कर दिया कि मैं तो 5 बजे ही मिल सकता हूँ, विवश, गवर्नर महोदय को समय की ढील देनी पड़ी। कई बार उन्हें ऑनरेरी मजिस्ट्रेट बनाने का प्रस्ताव आया, पर उन्होंने कहा-मुझे अवकाश ही नहीं है।'
सेठ जम्बूप्रसाद जैन ने जनपद में कई सामाजिक संस्थाओं की स्थापना करायी। 1922 में उन्होंने जैन मंदिर के निर्माण के साथ ही 'जम्बू जैन विद्यालय' की नींव डाली। सेठ जी की मृत्यु के बाद उनके पुत्र प्रद्युम्न कुमार जैन ने जम्बू जैन विद्यालय की उन्नति के लिए अनेक प्रयास किये। यह विद्यालय 1940 में मिडल स्कूल से हाईस्कूल तथा 1944 में हाईस्कूल से इंटर कॉलेज बन गया। इस कॉलेज
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उत्तरप्रदेश के जैन समाज... :: 29 मकान