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आन्दोलन के दौरान सन् 1943 में साहू जी को अंग्रेजी सरकार ने गिरफ्तार कर लिया और 2 माह लाहौर जेल में बंद रखा। जेल से छुटने के बाद साहू जैन परिवार के बुजर्गों की राय पर श्रेयांसप्रसाद जैन बम्बई चले गये। बम्बई में रहकर आन्दोलनकारियों की आर्थिक सहायता करने के साथ ही साहू जी ने निजी उद्योगों और व्यापारिक इकाइयों की स्थापना करनी प्रारम्भ कर दी। शीघ्र ही वस्त्र, रबड़, ऑटोमोबाइल, रसायनिक, विद्युत आदि वस्तुओं के निर्माताओं के रूप में उनकी ख्याति फैलने लगी। भारत की सबसे बड़ी कास्टिक सोडा निर्माता कम्पनी प्रांगधा रासायनिक वर्क्स लिमिटेड के साहू जी अध्यक्ष चुने गये। श्री जैन ने कैरोना साहू कम्पनी लि., न्यू केसरे हिन्द स्पिनिंग एण्ड विविंग कम्पनी लि., दी रायमंड वुलन मिल्स लि., दी पाईनियर मैगनिशया वर्क्स लिमिटेड, दी सौराष्ट्र फायनेंशयल कारपोरेशन लि., रेडियो लैम्पस वर्क्स लि. आदि कम्पनियों का संचालन किया। इन कम्पनियों ने देश के आर्थिक विकास में अपना योगदान दिया तथा हजारों बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराया।
साहू श्रेयांसप्रसाद जैन देश के प्रमुख उद्योगपति थे। आजादी के बाद 1952 में उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाया गया तथा 1988 में 'पद्मविभूषण' से सम्मानित किया गया। साहू परिवार के अन्य सदस्यों ने भी इस दौरान (1919-1947) देश के आर्थिक विकास में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
उत्तर प्रदेश के जैन समाज के अनेक नागरिकों ने साहू श्रेयांसप्रसाद जैन अनेक उद्योग धन्धों की स्थापना करके देश के आर्थिक
विकास को गति दी। 1932 में सासनी (हाथरस) के छेदीलाल जैन एवं प्रकाशचन्द्र जैन ने सासनी में 'खण्डेलवाल ग्लास वर्क्स' संस्थान की स्थापना की। चिमनी, शीशी व बोतल बनाने का यह उत्तर भारत में सबसे बड़ा कारखाना था। संस्थान की उच्च गुणवत्ता के कारण यह कारखाना बहुत प्रसिद्ध हुआ।
1942 में इसकी दूसरी ब्रांच छोटा अम्बोना (बिहार) में स्थापित की गयी। इन कारखानों में सैंकड़ों श्रमिकों को रोजगार मिला।
आगरा के स्वतंत्रता सेनानी सेठ अचलसिंह जैन ने
देश की औद्यौगिक उन्नति के श्री छेदीलाल जैन लिए काफी परिश्रम किया। जून
श्रीप्रकाशचन्द्र जैन
22 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान