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यशपाल जैन
नामकारकता अलीगढ़ जिले के विजयगढ़ कस्बे में 1 सितम्बर 1912 को जन्मे यशपाल जैन ने 1929-30 में एक सामाजिक उपन्यास लिखकर अपनी साहित्य यात्रा प्रारम्भ कर दी। पता महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर श्री जैन ने देश सेवा को अपना आदर्श बनाया
और अपने साहित्य में गरीबी, दहेज, आर्थिक विषमता, मद्यपान, शिक्षा और सामाजिक मूल्यों का हास आदि समस्याओं पर तीक्ष्ण प्रहार किये तथा समाज को दिशा प्रदान की। 1938 में यशपाल जैन गाँधीवादी साहित्यिक संस्था 'सस्ता साहित्य मंडल' से जुड़ गये और इसी वर्ष 'जीवन सुधा' मासिक पत्रिका के सम्पादक के रूप में उन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलन के सम्बन्ध में लिखना प्रारम्भ कर दिया। उन्होंने जीवन साहित्य, मधुकर और मिलन नामक मासिक पत्र-पत्रिकाओं का भी सम्पादन किया।
पर यशपाल जैन ने अनेक पुस्तकों का लेखन और सम्पादन किया। उनके द्वारा लिखी गयी कृतियाँ गाँधी की कहानी, गाँधी-हिन्दी दर्शन, भारत विभाजन की कहानी, सन् 42 का शहीद रमेश, स्व. हेमचन्द्र, समाज विकास माला (174 पुस्तकें नव-साक्षरों के लिए), कलश, सेतु निर्माता, भोर की आहट, राजकुमार की प्रतिज्ञा, अमृतघट (उपन्यास) आदि बहुत प्रसिद्ध हुई। उन्होंने कई स्मृति ग्रंथों का सम्पादन भी किया, जिनमें गाँधी : व्यक्तित्व, विचार और प्रभाग, गाँधी : संस्मरण और विचार, नेहरू : व्यक्तित्व और विचार, राजेन्द्र बाबू : व्यक्तित्व दर्शन, विनोबा : व्यक्तित्व और विचार, समन्वय के साधक : काका कालेलकर आदि प्रमुख हैं।दवारक
अक्षयकुमार जैन का 30 दिसम्बर 1915 को विजयगढ़ (जिला-अलीगढ़) में जन्मे अक्षयकुमार जैन ने स्वतंत्रता सेनानी के साथ ही एक लेखक और पत्रकार के रूप में भी देश की सेवा की। श्री जैन की पहली कहानी 'परित्यक्ता' अक्टूबर 1934 में प्रकाशित हुई। उनकी कहानियाँ तथा लेख सभी प्रमुख समाचार पत्रों में छपने लगे।
जैन संदेश ने उनके विषय में लिखा-अक्षयकुमार जैन सुयोग्य कहानीकार हैं। उनकी रचनाएँ अधिकतर सार्वजनिक पत्रों में छपती हैं। इनकी परित्यक्ता नामक पुस्तक अभी कुछ वर्ष पहले ही प्रकाशित हुई है। पुस्तक में लेखक की खास कृतियों का संग्रह है। उनकी यह रचना सफल उतरी है। भाषा शैली उपयुक्त है, पर अंग्रेजी शब्दों की भरमार थोड़ी खटकती है। अक्षयकुमार जैन से हमें भविष्य में बहुत आशायें हैं।
198 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान