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________________ 'भारतीय राष्ट्र का इतिहास', 23 मई 1941 का 'भारत और उसके शासक', 2 अक्टूबर 1941 का 'अभागा भारत', 6 नवम्बर 1941 का ' हमारी दासता का कारण', 15 जनवरी 1942 का 'देश की राजनीतिक स्थिति', 9 अप्रैल 1942 का 'ब्रिटिश योजनायें और हम', 31 मई 1942 का 'अहिंसा से ही देश की रक्षा', 20 अगस्त 1942 का ‘अन्न की महँगाई', 11 फरवरी 1943 का 'पाकिस्तान या गुलामी' आदि सम्पादकीय वक्तव्य प्रसिद्ध हुए । जैन संदेश ने जैन समाज में गाँधी जी द्वारा चलाये जा रहे आन्दोलनों का प्रचार-प्रसार करने में भी सहयोग दिया । पत्र में एक समाचार छपा था - महात्मा गाँधी ने व्यक्तिगत सत्याग्रह की इजाजत दे दी है और लगभग 1500 सत्याग्रहियों की सूची उन्होंने बना ली है । इसके फलस्वरूप गाँधी जी की आज्ञा से सरदार वल्लभ भाई पटेल और विदर्भ के प्रांत पति श्री बृजलाल वियाणी ने 18 तारीख को भाषण दिया और गिरफ्तार कर लिये गये । जैन समाज को भी व्यक्तिगत सत्याग्रह में बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए | 2 संयुक्त प्रान्त के जैन समाज ने राष्ट्रीय आन्दोलन में तन-मन-धन से योगदान दिया तथा बड़ी संख्या में जेलों की यात्रायें की। जैन पत्र-पत्रिकाओं में अंग्रेजी सरकार की खिलाफत की जाने लगी। सरकार द्वारा इन पत्रों पर पाबंदी लगा दी जाती, परन्तु कुछ समय बाद जैन बन्धु पुनः पत्रों का प्रकाशन प्रारम्भ कर देते और फिर वही सरकार विरोधी अभियान चलाया जाता था । जैन संदेश में इससे सम्बन्धित समाचार छपते रहते थे। एक समाचार था - भारत रक्षा कानून में शांति प्रेस के मैनेजर नेमीचन्द जैन की गिरफ्तारी के कारण 'वीर भारत' का प्रकाशन बन्द हो गया था, अब उसका पुनः प्रकाशन 5 जून, 1940 को शिकोहाबाद में होनेवाली कार्य समिति की मीटिंग के बाद होने जा रहा है, तब तक पाठक प्रतीक्षा करें | 3 जैन समाज के पत्रों के साथ ही सरकार ने कुछ जैन पुस्तकों पर भी पाबंदी लगायी। इससे सम्बन्धित समाचार 'जैन संदेश' के मुख पृष्ठ पर प्रकाशित किया गया। शीर्षक - 'जैनि दण्डनम् यू.पी. में जब्त ' - पंडित भगवताचारी द्वारा लिखित ‘जैनिदण्डनम्’ पुस्तक यू.पी. सरकार ने जब्त कर ली है । न जाने सरकार की क्या मंशा है ? ' जैन संदेश ने सत्याग्रह से सम्बंधित समाचारों को भी प्रमुखता से प्रकाशित किया। पत्र ने लिखा-भारत में गाँधी जी के नेतृत्व में पुनः प्रारम्भ हुआ सत्याग्रह संग्राम गत 17 नवम्बर, 1940 से जोर पकड़ता जा रहा है । देश के नेताओं की जेल यात्राएं शुरू हो गई हैं। पंडित जवाहर लाल नेहरू और सरदार पटेल जेल जा चुके हैं। इन पंक्तियों के पाठकों तक पहुँचते-पहुँचते प्रायः सभी प्रमुख नेता जेल पहुँच चुकेंगे। गाँधी जी ने सत्याग्रह न छेड़ने की बहुत कोशिश की, किन्तु ब्रिटिश गवर्नमेंट भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में जैन पत्र-पत्रिकाओं की भूमिका :: 183
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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