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मनोबल की सृष्टि की।" संयुक्त प्रान्त निवासी पंडित जुगल किशोर मुख्तार (सरसावा) ने जैन हितैषी को चमकाने में अपना पूर्ण योगदान
दिया ।
'जैन हितैषी' असहयोग आन्दोलन से पूर्व ही जैन समाज को देश सेवा हेतु प्रेरित करने लगी थी। एक अंक में पत्रिका ने लिखा
1882
ॐ सत्योदय क
मासिक पत्र
सम्पादक व प्रकाशक-चन्द्रसेन जैन वैद्य.
फरवरी, १३१६
* विषय सूची
सागत [लेखक- ० ० ० "भारतीय, ] पटेल पिल ३-भगवान का जन्माभिषेक
आजकल स्वराज्य का आन्दोलन बड़े जोर-शोर से हो रहा है। देश की तमाम जातियाँ इस बात को समझने लगी हैं कि बिना स्वराज्य मिले भारतवर्ष का वास्तविक कल्याण नहीं हो सकता है । प्यारे जैनी भाइयों! इस आन्दोलन में तुम्हारे शामिल हुए बिना यह आन्दोलन अधूरा सा
लगता है। अब तुम्हारे चुप रहने का समय नहीं
है। राजनीति के मैदान में आओ। लोग तुम्हारी बाँट जोह रहे हैं । तुम्हारा यह परम्परागत काम है। तुम्हारे ही हाथ लगाने से यह छप्पर उठेगा और प्राणिमात्र का दुःख दूर होगा । समय- समय पर इसी प्रकार की टिप्पणियों से पत्रिका जैन समाज को सचेत करती रही। पत्रिका में महात्मा गाँधी के लेख तथा भाषण भी निरंतर छपते रहते थे। गाँधी का सत्याग्रह आश्रम शीर्षक से गाँधी जी के भाषणों का सारांश भी जैन हितैषी ने प्रकाशित किया। जिसमें सत्यव्रत, अहिंसा व्रत, ब्रह्मचर्य व्रत, स्वादों
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[ लेखक-बार सूरजमानुजीवकील ] -भूगोल (पृथिवी का वर्णन )
[ ले०वा०] सूरजभानजी व माथि हस्तिनापुर का भविष्य [ ले०-एक आश्रम-हितेषी ] -शोध लेखक-नयन ] [
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164 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान
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सत्योदय का पुराना अंक