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3 माह का कारावास एवं 100 रुपये का अर्थदंड दिया गया। इस आन्दोलन के दौरान उन्होंने नये कार्यकर्ताओं को देश का कार्य करने के लिए प्रेरित किया ।
दुलीचंद जैन, निवासी तालबेहट ने 1941 के सत्याग्रह में 6 महीने की सजा पायी ।" उनके साथी भैयालाल जैन, गोकुलचंद जैन, हरिश्चन्द जैन ने भी इस आन्दोलन में 1 माह की सजा तथा 100 रुपये का अर्थदण्ड पाया। ताल बेहट निवासी शिखरचंद जैन कम्युनिस्ट दल से जुड़े थे। इस दल में कार्य करने के कारण सरकार ने उन्हें 4 महीने जेल में रखा। 2 चमनलाल जैन झाँसी ने भी इस आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया। श्री जैन आन्दोलन के प्रारम्भ में ही गिरफ्तार कर लिये गये थे।"" इस प्रकार झांसी जिले के जैन समाज ने बड़ी संख्या में आगे आकर 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में अपनी आहुति दी ।
जिला बाँदा में जैन समाज के प्रमुख कार्यकर्ता सुरेशचन्द्र जैन को भारत छोड़ो आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी के कारण अंग्रेजी सरकार का कोपभाजन बनना पड़ा । उन्हें सरकार ने बहुत लम्बे समय जेल में रखा तथा भारी अर्थ दण्ड उन पर लगाया गया। उ.प्र. सूचना विभाग के अनुसार सुरेश चन्द्र जैन पुत्र फूलचन्द निवासी कलवानगंज बाँदा को 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लेने के कारण भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420/120-बी के अंतर्गत 15 साल तक कैद में रखा गया और उन पर 15000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया । 14
सहारनपुर जिले में 9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आन्दोलन का प्रारम्भ होते ही जनपदवासियों में ब्रिटिश सरकार के प्रति गुस्सा फूट पड़ा। पूरे जिले में हड़ताल रखी गयी और जगह-जगह सरकारी सम्पत्ति को नष्ट करने का काम प्रारम्भ हो गया। बाबू अजितप्रसाद जैन के नेतृत्व में जैन समाज के नागरिकों ने भी इस आन्दोलन में भाग लिया । अजितप्रसाद जैन ने पूरे संयुक्त प्रान्त में राष्ट्रीय आन्दोलन के कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। श्री जैन ने 3, 4 मार्च, 1940 को बहराइच जिले के राजनीतिक सम्मेलन में मुख्य रूप से भाग लिया था। इस सम्मेलन में पुरुषोत्तमदास टंडन, सम्पूर्णानन्द जी, कैलाशनाथ
काजू और रफी अहमद किदवई के साथ उन्होंने अजितप्रसाद जैन
142 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान
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