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जेलों में रखे गये। स्वतंत्रता दिवस पर जेल में राष्ट्रीय झंडा लगाने के फलस्वरूप उन्हें खड़ी हथकड़ी की कठोरतम सजा दी गयी।106 तत्कालीन समाचार पत्र 'जैन मित्र' ने भी इसका समर्थन करते हुए लिखा- 'ललितपुर में मथुराप्रसाद जैन को 9 महीने की सजा दी गई है।'107
वृन्दावनलाल जैन 'इमलिया' का उल्लेख उ.प्र. सरकार का सूचना विभाग इस प्रकार करता है-वृन्दावन इमलिया निवासी ललितपुर झाँसी सन् 1932 के इस आन्दोलन में जेल गये। 08 ‘जैन संदेश' के अनुसार श्री जैन स्थानीय आजाद हिन्द फार्मेसी नामक फर्म के स्वामी हैं और लगभग सन् 1928 से कांग्रेस कार्यकर रहे हैं। एक बार सन 1930 में 1 वर्ष और सन 1932 में दूसरी बार देहली कांग्रेस अधिवेशन के समय जेल में रहे। श्री जैन वर्षों मण्डल कांग्रेस कमेटी के सचिव रहे हैं। 09 जेल यात्रा के दौरान उन्हें देहली, उन्नाव व ललितपुर आदि की जेलों में रहना पड़ा।
ललितपुर के कपूरचंद जैन पुत्र पलटूराम जैन ने 1931 में 6 माह कैद और 25 रुपये जुर्माने की सजा पायी। इसी प्रकार गोविन्ददास जैन सिंघई सन् 1932 में आन्दोलनों से सक्रियता पूर्वक जुड़े तथा एक वर्ष जेल में रहे। परतंत्र-काल में उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों को यथाशक्ति सहयोग दिया।
जिला बाँदा में जैनों की संख्या कम थी। जैन डायरेक्ट्री के अनुसार-बाँदा में जैनियों की गृह संख्या 20 है तथा यहाँ एक शिखरबन्द जैन मंदिर है, जिसमें 10 धर्मशास्त्र है। 11 बाँदा में इस आन्दोलन के दौरान नन्हेलाल जैन का नाम तत्कालीन पत्रों के द्वारा पता चलता है। 'दिगम्बर जैन' पत्रिका ने लिखा था- 'बाँदा में नन्हेंलाल
जैन झण्डा सत्याग्रह में 3 माह जेल गये।।12 उसी प्रकार 'जैन मित्र' द्वारा ‘कारावासी दिगम्बर जैन वीर' शीर्षक से प्रकाशित सूची में भी उनके नाम का उल्लेख किया गया था। उपरोक्त उदाहरणों से पता चलता है कि बाँदा में भी जैन समाज ने राष्ट्रीय आन्दोलन में अपना कर्तव्य निभाया।
सहारनपुर जिले में 26 जनवरी 1930 को स्वाधीनता दिवस मनाया गया। चौक फव्वारा में प्रातः राष्ट्रीय झण्डा फहराया गया। शाम के समय अत्यंत उत्साह के साथ एक विशाल जुलूस निकाला गया, जिसमें सैंकड़ों महिलाएँ राष्ट्रीय गीत गाती चल रही थी। जुबली पार्क में पहुँचकर जुलुस ने सभा का रूप धारण कर लिया, जिसकी अध्यक्षता झुम्मनलाल जैन (वकील) ने की। सहारनपुर में जैन समाज को राष्ट्रीय आन्दोलन से जोड़ने में उनकी विशेष भूमिका रही। सन् 1932 के आन्दोलन में श्री जैन जेल में रहे।
सहारनपुर के जैन समाज पर आन्दोलन का व्यापक प्रभाव पड़ा। नगर के नौ जैन मंदिरों पर जून 1930 में महिलाओं ने धरना दिया और घोषणा की कि केवल खद्दर पहनकर आने वाले जैनी को ही मंदिरों में प्रवेश दिया जायेगा। 15 महिलाओं
सविनय अवज्ञा आन्दोलन और जैन समाज :: 105