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________________ कपड़े सिलना, मेहँदी रचाना आदि कलाओं का प्रशिक्षण दिया गया। अणुव्रत उद्योग केन्द्र की स्थापना पूर्वक कुछ मशीनें भी भेंट की गयी। आर्थिक आत्मनिर्भरता से लोगों में विश्वास का नया वातावरण बना। रोजगार प्रशिक्षण की कड़ी से जुड़कर लगभग 18-20 हजार लोगों ने अभाव मुक्त जीवन जीने का सपना पूरा किया है। सकारात्मक कार्यः एक झलक अहिंसक चेतना जागरण एवं विकास में आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा संपादित सकारात्मक कार्यों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से अहिंसा की तेजस्विता को निखारने एवं उसे पष्ट करने वाले कार्यों की लम्बी सूची है। प्रस्तुत संदर्भ में संक्षिप्त विमर्श वांछित है। संप्रदाय की संकीर्णता से ऊपर उठकर आचार्य महाप्रज्ञ ने कहा-'व्यक्ति चाहें जिस सम्प्रदाय का अनुगमन करें। पर मानवधर्म का, अहिंसा धर्म का पालन अवश्य करें।' संपर्क में आने वाले हर किस्म के लोगों को उन्होंने बताया कि मानव धर्म की रक्षा सबका नैतिक दायित्व है। दिल्ली के विज्ञान भवन में पोप पॉल सहित धर्माचार्यों के मध्य उन्होंने कहा था कि 'विश्व के सभी महान् धर्माचार्यों को मिलकर यू.एन.ओ. की तरह धर्म संसद का एक मजबूत संगठन बनाना चाहिए। हम सब मिलकर यदि विवादास्पद विषयों पर चर्चा करते रहें तो उससे बहुत फायदा हो सकता है। सब लोग अपने धर्म का अनुपालन करें तथा युग के सामने उपस्थित समस्याओं का समाधान करें यह आवश्यक है।' अपने कथन के अनुरूप अहिंसा यात्रा के दौरान विभिन्न सम्प्रदायों के लागों से तथा धर्मगुरूओं से मिलें। अनेक मस्जिदों-दरगाहों में गए। व्यापक संपर्क साधा। सभी ने आचार्य महाप्रज्ञ के उदात्त चिंतन और व्यवहार का स्वागत किया। जिस वातावरण में हम उच्छवास ले रहे हैं उसके प्रति हमारी जागरूकता बढ़े। इस ओर ध्यान केन्द्रित करते हुए महाप्रज्ञ ने कहा-जब तक हम प्रदूषण के कारणों को नहीं जानेंगे तब तक पर्यावरणचेतना का जागरण नहीं होगा। जंगलों की कटाई भी बंद नहीं होगी। आज जीवन को इतनी प्राथमिकता नहीं मिल रही है जितनी पैसों को मिल रही है। फ्रीज, ए.सी. आदि सुख-सुविधाएँ पर्यावरण को प्रदूषित करने की ओर जा रही है। पर्यावरण संतुलन की दृष्टि से उन्होंने संयम की चेतना के जागरण पर बल दिया। मुंबई होलसेल गोल्ड ज्वैलर्स एशोसिएशन की तरफ से आचार्य महाप्रज्ञ के सान्निध्य में समायोजित सम्मेलन में व्यापार विशुद्धि की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण विचार विमर्श किया गया। आचार्य महाप्रज्ञ ने दीर्घकालीन सफलता के लिए प्रामाणिकता को मुख्य आधार बताया। व्यापार में प्रामाणिकता ही अहिंसा है, इस बात पर बल दिया गया। सम्मेलन में युवा व्यापारियों ने उत्साह पूर्वक व्यापार में प्रामाणिकता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। अहिंसा यात्रा के दौरान मुंबई स्थानीय युवक परिषद की ओर से आतंकवाद, भ्रूण हत्या, सर्वधर्म समन्वय, व्यसन, आदि की विकृतियों से परिचित कराने वाली अनेक झांकियां रास्ते में प्रदर्शित की गई। जिसकी दर्शकों पर अमिट छाप बनी। आचार्य महाप्रज्ञ के व्यापक सकारात्मक प्रयत्नों का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि उन्होंने धर्म की आधुनिक परिभाषा प्रस्तुत की- 'मैं जिस धर्म की व्याख्या करना चाहता हूँ, उसका संबंध जीने की कला के साथ है। जीने की कला है-शांति और आनंद।' 324 / अँधेरे में उजाला
SR No.022865
Book TitleAndhere Me Ujala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaralyashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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