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________________ सदस्य अर्हता महत्त्वपूर्ण तथ्य है अहिंसा में विश्वास रखने वालों में आंतरिक शुद्धता का विकास हो। जिस व्यक्ति के हृदय और मस्तिष्क में तनाव, उलझनें, द्वेष, भेद-भाव भरे हों वह अहिंसा का पूर्णरूपेण पालन नहीं कर सकता। कथनी करनी में एकता आवश्यक है। अहिंसा समवाय के संदेशवाहक को अपने जीवन को ही संदेश बनाना पड़ेगा वरणा उसकी बात का समाज पर प्रभाव नहीं पड़ेगा। अर्थात् प्रशिक्षक ऐसे हों जो मनसा-वाचा-कर्मणा अहिंसा में विश्वास रखते हों। अहिंसा के संबंध में जिन्हें अच्छी जानकारी हो। वह यह जानता हों कि अहिंसा का प्रयोग कैसे किया जाए। अहिंसा के क्षेत्र में काम करने वाले के लिए समवाय द्वारा एक संकल्प पत्र जारी हुआ है। वे संकल्प हैं 1. मैं अपने जीवन में हिंसा के अल्पीकरण का प्रयास करूंगा। 2. दूसरों की आस्था एवं विचारों के प्रति सहिष्णु रहूँगा। 3. किसी भी विवाद को शांति एवं सदभावना से सझलाने का प्रयास करूंगा। 4. अन्याय, अज्ञान, शोषण, गरीबी, बेकारी जैसी मूलभूत समस्याओं के समाधान का प्रयत्न करूँगा। 5. श्रम, स्वावलंबन, संयम, संविभाग तथा संवेग-नियंत्रण की साधना करूँगा। 6. प्रतिदिन आत्मनिरीक्षण करूँगा। संकल्प की भाषा से अहिंसा समवाय के महान् लक्ष्य को आंका जा सकता है। इसकी कार्य योजना एकमात्र व्यक्ति, परिवार, समाज एवं राष्ट्र की शांति के लिए बनाई गयी है। समवाय का कार्य क्षेत्र समवाय के कार्यक्षेत्र का स्पष्टीकरण करते हुए महाप्रज्ञ ने कहा-'अहिंसा समवाय के सामने विश्व और समाज की समस्याओं को समझने तथा उन्हें सुझलाने का भी सवाल है। इसलिए यह आवश्यक है कि अहिंसा, शांति और नैतिकता में विश्वास करने वाले लोग परस्पर मिलें। परस्पर विचारों से परिचित हों। स्वस्थ समाधान प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि विरोधी विचार को भी सुना जाये। इसके लिए मुख्य बिन्दु हैं-1. सह आसन, 2. सह चिंतन 3. सहमति और 4. सहक्रियान्वयन । ये चार बातें होंगी तभी अहिंसा के बारे में सही सोच पैदा होगी तथा अहिंसा का तेजस्वी स्वरूप सामने आयेगा। ___ अहिंसा के सामाजिक मूल्य स्थापन हेतु अहिंसा समवाय राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय प्रयोग कर रहा है। हर स्तर पर समविचारी संस्थाओं तथा सद्विचारक व्यक्तियों का सहयोग लेकर अहिंसा समवाय लक्ष्य प्राप्ति की ओर गतिशील है। समवाय के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अहिंसा प्रशिक्षण का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। जब अहिंसा प्रशिक्षकों की एक टीम बनकर तैयार हो जाएगी, तभी इस समवाय की बात जन सामान्य के हृदय में प्रतिष्ठित की जा सकती हैं। समवाय के बढ़ते चरण अहिंसा समवाय मंच को गतिशीलता का सबूत है समय-समय पर आयोजित होने वाले अहिंसा समवाय के सम्मेलन। इस उपक्रम के जरिये सम-सामयिक समस्याओं का अहिंसा के आलोक में चिंतन मनन किया जाता है। उदाहरण के तौर पर हम जान सकते है किसी एक सम्मेलन की गति-प्रगति के संदर्भ 306 / अँधेरे में उजाला
SR No.022865
Book TitleAndhere Me Ujala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaralyashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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