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________________ पूर्ववृत्त गांधी एवं महाप्रज्ञ के विराट् व्यक्तित्व में अहिंसा का तेज मुखर हुआ। इसके मूल उत्स को जानने के लिए संस्कार संपदा का परिज्ञान महत्वपूर्ण है। वे कारक जो दोंनो महापुरुषों के जीवन निर्माण में योगभूत बनें उनका विमर्श द्वितीय अध्याय में अभिप्रेत है। व्यक्तित्व निर्मापक घटकों में समानताअसमानता के रूप में मौलिकता का निदर्शन है। माता से मिला त्याग-नियम प्रधान संस्कार संपदा का सुयोग सह व्यक्ति विशेष की प्रेरणा महापुरूषों को समान रूप से मिली। वैसे मनीषियों के प्रेरणोत्स में काफी वैशिष्ट्य है। जिसके मुख्य घटक निम्नांकित हैं गांधी के प्रेरणोत्स अधिकांश अव्यक्त है, महाप्रज्ञ के साथ ऐसा नहीं हैं। भिन्न शिक्षा परिवेश-उच्च शिक्षा पाने का सुयोग विदेशी भूमि पर मिला जो गांधी की भारत स्वतंत्रता चेतना जगाने में योगभूत बना, महाप्रज्ञ को शिक्षण-प्रशिक्षण हेतु गुरुकुल जैसा वातावरण धर्मसंघ में मिला। गांधी शिक्षा गुरु के वात्सल्य से वंचित रहे, महाप्रज्ञ दीक्षा-शिक्षा गुरु की परवरिश में पूर्ण निश्चित रहे। . धर्म, दर्शन और राजनैतिक भिन्न माहौलः गांधी के दिल में हिन्दूधर्म एवं प्रकारान्तर से जैन धर्म के संस्कारों की छाप थी, महाप्रज्ञ में जैनत्व-मानवता के संस्कार घनीभूत बनें। . गांधी को राज-काज संबंधी संस्कार पैतृक संपदा के बतौर मिलें, महाप्रज्ञ का पैतृक साया शैशव वय में ही उठ चुका था। भूमिका भेद से महापुरुषों के प्रेरणोत्स में काफी अंतर है। एक बड़ा अन्तर स्वनिर्धारित प्रेरणा प्रदीप में है। महाप्रज्ञ ने व्यक्तित्व निर्माण के मानक स्वयं निर्धारित कियें। ऐसा उल्लेख ‘मेरे जीवन के रहस्य' आलेख में मिलता है। जिज्ञासु प्रेरणा संजोकर अपने व्यक्तित्व का वांछित निर्माण कर सकता है। पूर्ववृत्त / 127
SR No.022865
Book TitleAndhere Me Ujala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaralyashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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