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________________ झुझुनु नगर में संवत् १६१५ सावन कृष्णा १३ बुधवार के शुभ दिन सम्पूर्ण हुई थी।१२ इसका वर्णन करते हुए कवि ने लिखा है कि वहाँ पर्याप्त संख्या में महाजन लोग तथा छत्तीस जातियाँ निवास करती थी। तथा उस नगर के शासक चौहान जाति के थे, जो अपने परिवार के साथ राज्य करते थे। यथा - बागबाडी घणी नीकै जी ठाणि, वसै हो महाजन नग्र झाझौणि । पौणि छत्तीस लीला करै, गाम को साहिब जाति चौहाण ।१३ राज करौ परिवार स्यौ, अहो छह दरसन को राखौ जी मान ॥ प्रकृति चित्रण एवं शृंगार - प्रकृति चित्रण एवं शृंगारादि रसों का काव्य में अपना अनूठा एवं महत्त्वपूर्ण स्थान होता है, जिससे काव्य में सजीवता उत्पन्न होती है। प्रस्तुत कृति में भी कवि ने राजुल के शब्दों में साल के बारह महीनों का जो वर्णन करवाया है वह यथार्थ स्वाभाविक एवं प्राकृतिक कामदशा के अनुकूल है। यथा - श्रावण मास - श्रावण मास का वर्णन करते हुए कवि लिखते है कि इस माह में मेघों की तीव्र गर्जना के साथ घनघोर वर्षों होती है, मोर नाचने लगते है। ऐसी स्थिति में राजुल नेमिनाथ से कहती है कि उसके शरीर में श्वास कैसे रह सकती है इसलीए वह भी उन्हीं के पास रहेगी। यथा - अहो सावणाडौ बरसै सुपियार, गाजै हो मेघ अति घोर धार । असलस लावै जी मोरडा, अहो मेरी जी काया मै रहै न सासु | नेमि सेथि राजल भणे, स्वामी छाडु हो नहीं जी तुम्हारौ जी पासा ।१४ भाद्रपद मास - भाद्रपद मास में भी खूब वर्षा होती है। नदी नालों में खूब पानी बहता है। रात्रियाँ डरावनी लगती है। श्रावकगण इस मास में व्रत एवं पूजा करते हैं। ऐसे महीने में राजुल अकेली कैसे रह सकती है ? अहो भादवडौ बरसै असमान, जे ताहो व्रत ते ता तणौ जी थान । पूजा हो श्रावक जन रचौ, नदी हो नाल भरि चालै जी नीर । दीसै जी राति डरावणी, स्वामी तुम्ह बिना कैसों हो रहे जी सरीर ।१५ आसोज मास - आसोज मास में पीछे बरसने वाला पानी बरसता है। इस मास में पुरुष एवं स्त्री के टूटे हुये स्नेह भी जुड़ जाते हैं। दशहरे पर पुरुष और स्त्री भक्ति भाव से दूध-दहीं और घृत की धारा से जिनेन्द्र भगवान की पूजा करते है। लेकिन हे स्वामिन् । आप मुझे क्यां दु:ख दे रहे हो। ब्रह्मरायमलकृत नेमीश्वर रास का समीक्षात्मक अध्ययन * 541
SR No.022860
Book TitleJain Ras Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhay Doshi, Diksha Savla, Sima Ramhiya
PublisherVeer Tatva Prakashak Mandal
Publication Year2014
Total Pages644
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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